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कैडिला कैल्सीरोल Cadila Calcirol in Hindi

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कैल्सीरोल, कैडिला द्वारा निर्मित एक एलोपैथिक सप्लीमेंट हैं जिसके एक सैशे में 60,000 IU कोलेकैल्सिफेरोल विटामिन डी 3 होता है। इस सप्लीमेंट का सेवन शरीर में विटामिन डी की कमी को दूर करता है और इसके सामान्य स्तर को बनाये रखने में मदद करता है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

is allopathic supplement containing Cholecalciferol, (Cholecalciferol D3, Colecalciferol) and helps in vitamin D deficiency.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता / ब्रांड: Cadila Pharmaceuticals Limited
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  • मुख्य उपयोग: विटामिन डी की कमी को दूर करना
  • मूल्य MRP (दवा का मूल्य बदलता रहता है): Calcirol Sachet 1gm @ Rs. 31.00

कैल्सीरोल के घटक Ingredients of Calcirol

  • विटामिन डी 3 / कोलेकैल्सिफेरोल
  • एक ग्राम के सैशे में 60,000 IU

कैल्सीरोल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Calcirol

  1. यह विटामिन डी की कमी और उसके सामान्य स्तर को बनाये रखने में मदद करता है।
  2. विटामिन डी की कमी से होने वाली परेशानियाँ इसके सेवन से दूर होती हैं।
  3. यह दांतों को मजबूती देता है।
  4. इसके सेवन से कैल्शियम के अवशोषण में सहायता होती है।
  5. यह इम्मुनोमोडुलेटरी है।

कैल्सीरोल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Calcirol

  1. विटामिन डी की कमी Vitamin D deficiency
  2. रिकेट्स Rickets
  3. ओस्टियोमलेशिया Osteomalacia

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Calcirol

सप्ताह में एक बार, चौथाई या एक पूरा सैशे को गिलासभर दूध में मिलाकर सेवन करें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. इसे हाइपरकैलकेमिया hypercalcaemia में न लें।
  2. इसे किडनी डिसऑर्डर पथरी और हृदय रोगों में सावधानी से लें।
  3. यह दवा थाईज़ाइड डाईयुरेटिक के साथ इंटरैक्ट करती है।
  4. अधिक मात्रा में सेवन न करें।
  5. अधिक मात्रा में लेने से शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है जो की पथरी और सॉफ्ट टिश्यू का कैल्सीफिकेशन कर सकता है।
  6. गर्भावस्था में इसका सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें। डॉक्टर रक्त की जांच के बाद ही इसे लेने का परामर्श देते हैं।

कैल्शाइन पी ड्रॉप्स Calshine P in Hindi

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विटामिन डी, सभी के लिए अत्यंत ज़रूरी विटामिन है। बच्चों के लिए यह विशेष रूप से आवश्यक है। बच्चों में सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कैल्शियम के साथ-साथ यह विटामिन भी दैनिक उपलब्ध होना चाहिए।

विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है जो हमारे शरीर में सूरज की रोशनी या धूप में उत्पादित होता है। यह वसा में घुलनशील विटामिन है और शरीर के वसा या फैट में संग्रहीत किया जाता है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण Symptoms of deficiency

बच्चों को यदि विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में न मिले तो उनमें सही विकास नहीं होता। कुछ लक्षणों को देख कर उनमें विटामिन डी की कमी है या नहीं ये समझा जा सकता है। नीचे कुछ ऐसे ही लक्षण दिए गए हैं:

  1. मांसपेशियों में ऐंठन
  2. चिड़चिड़ापन
  3. नरम खोपड़ी या कमजोर घुमावदार पैर bow-legged धनुष की तरह मुड़े पैर
  4. रिकेट्स, विकास और ऊंचाई में कमी
  5. देर से खड़ा होना और चलना
  6. सांस लेने कठिनाइयों
  7. बार-बार संक्रमण
  8. दांत सही समय पर निकलना
  9. दांतों का गलना

विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए रोजाना 1000 IU, तीन महीने तक और विटामिन डी की कमी न हो, इसके लिए रोजाना 400 IU दें जब तक शिशु बारह महीने का न हो जाए।

CalShine P oral solution एक लिक्विड दवा है जो की बच्चों को नियमित दी जा सकती है जिससे उनमें इस विटामिन की कमी न हो और वे स्वस्थ्य रहें।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Calshine P is paediatric oral drops for Cholecalciferol or Vitamin D3 supplementation. It is manufactured by Eris Life science Pvt Ltd. In each ml of CalShine drops, there is 800 IU of Vitamin D3. The exact dosage is dependent on age of child and prescribed by physician.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवाई का नाम: Calshine P (paediatric oral drops)
  • निर्माता / ब्रांड: Eris Life science Pvt Ltd.
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक सप्लीमेंट
  • मुख्य उपयोग: विटामिन डी की कमी को न होना देना, विटामिन डी की कमी दूर करना
  • मूल्य MRP (दवा के दाम बदलते रहते हैं):
  • CALSHINE P 15ml DROPS @ Rs. 65.00
  • CALSHINE P 30ML DROPS @ Rs. 110.00

कैल्शाइन पी के घटक Ingredients of Calshine P

800 IU/ml of Vitamin D3 कोलेकैल्सीफेरोल

कैल्शाइन पी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Calshine P

  • विटामिन डी की कमी दूर करना
  • विटामिन डी के स्वस्थ्य स्तर को बनाए रखना

बच्चों में विटामिन डी की दैनिक ज़रूरत

  • जन्म से 12 महीने: 400 आइयू (इंटरनेशनल यूनिट)
  • बच्चे 1 – 13 साल: 600 आइयू

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Calshine P

यह ड्राप के रूप में दी जाने वाली दवाई है।

बच्चे को जन्म के बाद एक वर्ष की उम्र तक, दिन में एक बार यह ड्राप आधा मिलीलीटर की मात्रा में दें।

इसी प्रकार की अन्य दवाएं / उपलब्ध विकल्प

  1. BC FERROL Drops (BIO WARRIORS)
  2. DVION Drops (MERCK PHARMA)
  3. D LIQ Drops (DELCURE LIFESCIENCES LTD)
  4. ESD3 Drops (VILBERRY HEALTH CARE)
  5. JUSDEE SUSPENSION (STEDMAN PHARMA)
  6. JUSDEE 800IU SUSPENSION (STEDMAN PHARMA)
  7. KIDRICH D3 Drops (DR REDDYS)
  8. MACBRITE D3 800IU Drops (MACLEODS)
  9. OSTA D3 Drops (RAVENBHEL PHARMACEUTICALS)
  10. SOLIS D3 Drops (VASU ORGANICS)
  11. SWIN D3 Drops (INDO SWISS REMEDIES)
  12. VITANOVA D3 Drops (ZUVENTUS HEALTHCARE LTD)

इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile Dysfunction (ED) in Hindi

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स्तंभन दोष या नपुंसकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन, संभोग के दौरान शिश्न के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता की स्थिति है। Erectile dysfunction (ED) is the inability to get or keep an erection firm enough to have sexual intercourse। It is also sometimes also referred to as impotence.

कभी कभी होने वाले स्तंभन दोष से कोई समस्या नहीं होती है। परन्तु पुरुष यदि उत्तेजित है और सेक्स करने की चाह रखता है लेकिन फिर भी उसे कभी इरेक्शन नहीं हो रहा तो निश्चित ही यह एक समस्या है जो की व्यक्ति की लाइफ क्वालिटी को प्रभावित करती है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने पर व्यक्ति को इसके सही कारण को जानने का प्रयास करना चाहिए। कई बार इसके होने का कारण डायबिटीज, हृदय रोग, पेनिस पर लगी चोट, ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत आदि हो सकते है। हो सकता है टेस्टोस्टेरोन की कमी हो या व्यक्ति भावनात्मक रूप से तैयार न हो। यदि सही कारणों का पता कर लिया जाए तो समस्या का समाधान करना सरल हो जाता है।

Erectile dysfunction is defined as the persistent inability to attain and maintain an erection sufficient to permit satisfactory sexual performance. ED affects physical-psychosocial health and quality of life. It can be due to many reasons including coronary artery and peripheral vascular disease, diabetes, physical damage to penis, Prostatic disease, Penile deformities etc.

पर्याय: Klaibya क्लैब्य, नपुंसकता, नामर्दी, impotence, Erectile Dysfunction (ED)

स्तंभन क्या है What is erection?

स्तंभन या इरेक्शन वह स्थिति है जिसमें यौनोत्तेजना में पुरुष का शिश्न / पेनिस का आकार बढ़ जाता है और कड़ा हो जाता है। यौन रूप से उत्तेजिटी होने पर शिश्न की धमनियाँ स्वतः फैल जाती हैं, जिसके कारण अधिक रक्त शिश्न के तीन स्पंजी ऊतक कक्षों मे भर जाता है और इसे लंबाई और कठोरता प्रदान करता है। यह रक्त से भरे ऊतक रक्त को वापस ले जाने वाली शिराओं पर दबाव डाल कर सिकोड़ देते है, जिसके कारण अधिक रक्त प्रवेश करता है और कम रक्त वापस लौटता है। ऐसा होने से शिश्न को एक निश्चित स्तंभन आकार मिलता है।

स्तंभन दोष / इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) क्या है What is Erectile Dysfunction or ED?

इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष वह स्थिति है जिसमें एक पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन / स्तम्भन को पाने या उसे बरकरार रखने में असमर्थ रहता है।

यह कहा जा सकता है की व्यक्ति को स्तम्भन दोष है, यदि

  • उसे कभी कभी इरेक्शन होता है, लेकिन हर बार नहीं
  • इरेक्शन होता है लेकिन यह संभोग के लिए पर्याप्त समय तक नहीं रहता
  • व्यक्ति कभी भी इरेक्शन पाने में असमर्थ

इरेक्शन न होने को नपुंसकता भी कहा जाता है।

स्तंभन दोष के कारण क्या हैं What are the causes of Erectile Dysfunction?

ऐसे बहुत से कारण है जिनके कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है। यह कारण शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक हो सकते है। शारीरिक कारणों में लिंग में नसों को डैमेज, अथवा इसकी धमनियों, मांसपेशियों और ऊतकों को किसी भी कारण से होने वाला नुकसान शामिल है।

निम्न बीमारियों में पेनिस को नुकसान हो सकता हैं जो की स्तंभन दोष का कारण हो सकता है:

  1. उच्च रक्त चाप High blood pressure
  2. मधुमेह, उच्च रक्त ग्लूकोज Diabetes
  3. उच्च कोलेस्ट्रोल High cholesterol
  4. धमनियों के अंदर प्लाक Clogged blood vessels (atherosclerosis)
  5. हृदय और रक्त वाहिका रोग Heart disease
  6. गुर्दे की पुरानी बीमारी Chronic heart disease
  7. मल्टीप्ल स्केलेरोसिस Multiple sclerosis
  8. प्रोस्टेट कैंसर के लिए उपचार, विकिरण और प्रोस्टेट सर्जरी से चोट
  9. लिंग पर चोट Penis damage
  10. रीढ़ की हड्डी, प्रोस्टेट, मूत्राशय, या श्रोणि मूत्राशय कैंसर के लिए सर्जरी Surgeries or injuries that affect the pelvic area or spinal cord
  11. पेनिस में प्लाक
  12. पार्किनसंस Parkinson’s disease
  13. टेस्टोस्टेरोन का कम होना Low testosterone
  14. पेरोनीज डिसीज़ Peyronie’s disease, development of scar tissue inside the penis
  15. तम्बाकू का प्रयोग Tobacco use
  16. शराब, अफीम का सेवन Alcoholism and other forms of substance abuse
  17. जीवन शैली के रोग जैसे धूम्रपान, बहुत ज्यादा शराब पीना, ड्रग्स लेना, अधिक वजन, व्यायाम न करना आदि।

मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक कारण

Psychological causes of erectile dysfunction

  • तनाव-चिंता stress
  • डिप्रेशन Depression, other mental health conditions
  • यौन असफलता का भय anxiety
  • कम आत्म सम्मान low self esteem
  • समबन्धों में समस्या Relationship problems due to stress, poor communication or other concerns

दवाओं का सेवन

  • रक्तचाप की दवाएं
  • एंटीथिस्टेमाइंस
  • एंटीडेप्रेसंट
  • अवसाद पैदा करने की दवाएं
  • भूख कम करने की दवाएं
  • अल्सर की दवाएं

यदि पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन कम हो तब भी स्तंभन दोष हो सकता है।

किनमें स्तंभन दोष होने की अधिक संभावना है?

शरीर में किसी रोग के होने पर और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसके होने की सम्भावना कुछ बढ़ जाती है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन से सम्बंधित दिक्कतें क्या हैं

What are the risk factors for Erectile Dysfunction?

इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने पर बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं:

  • दाम्पत्य जीवन में यौन सुख न मिलना, असंतुष्ट पार्टनर
  • शारीरिक सुख न मिलने से अवसाद, चिंता, और कम आत्म सम्मान
  • जोड़े के बीच अंतरंगता की कमी, रिश्ते में तनाव आना
  • बच्चा होने में दिक्कत

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का निदान कैसे होता है

What are the tests used to diagnose Erectile Dysfunction?

इरेक्टाइल डिसफंक्शन में डॉक्टर मरीज से उसकी मेडिकल और सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं और कई टेस्ट कराते हैं।

  • मेडिकल और सेक्सुअल हिस्ट्री medical and sexual history
  • शारीरिक परीक्षा physical exam
  • ब्लड टेस्ट blood tests
  • पेशाब की जांच Urine tests (urinalysis)
  • नोक्टर्नल इरेक्शन टेस्ट erection test
  • इंजेक्शन परीक्षण injection test
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड Doppler ultrasound
  • मानसिक स्वास्थ्य परीक्षा Mental Health Exam

शारीरिक परीक्षा physical exam के दौरान निम्न को जांचा जाता है

लिंग को छू कर यह जांचा जाता है की क्या यह शारीरिक स्पर्श के प्रति संवेदनशील है। लिंग में यदि संवेदनशीलता का अभाव है, तो तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की दिक्कत इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकती है।

लिंग में देखने पर किसी प्रकार की असामान्यता। उदाहरण के लिए, Peyronie रोग में लिंग के सख्त होए पर वह मुड़ा हुआ या वक्र लगता है।

शरीर के बालों का गिरना या स्तनों का बढ़ना जो की हॉर्मोन असंतुलन low testosterone को दिखाता है।

ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है।

कलाई में और एड़ियों में नाड़ी की जांच जिससे सर्कुलेशन blood circulation में होने वाली दिक्कत पता लग सके।

ब्लड टेस्ट blood tests में मधुमेह, atherosclerosis, क्रोनिक किडनी रोग, और हार्मोन संबंधी समस्याओं आदि है की नहीं जांचा जाता है।

नोक्टर्नल इरेक्शन टेस्ट में रात को होने वाले इरेक्शन के बारे में पता लगाया जाता है। हर स्वस्थ्य पुरुष को रात में तीन से पांच इरेक्शन होते हैं। यदि यह इरेक्शन व्यक्ति में देखे जा रहे हैं तो इसका मतलब है की उसमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक है।

इंजेक्शन परीक्षण में इंजेक्शन intracavernosal injection लगाकर लिंग में आये स्तम्भन और समय को देखते हैं।

डॉपलर अल्ट्रासाउंड, द्वारा लिंग में रक्त के प्रवाह को जांचा जाता है। इरेक्शन लाने के लिए इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है। एक्स-रे तकनीशियन लिंग पर हल्के हाथ से डिवाइस गुजारता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर रक्त वाहिका में रक्त प्रवाह की गति और दिशा देखी जाती है।

मानसिक स्वास्थ्य परीक्षा के द्वारा दंपति के भावनात्मक और शारीरिक संबंधों के बारे में जानकारी ली जाती है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन इलाज कैसे होता है

What are the treatments and medications for Erectile Dysfunction?

सही इलाज सही कारण पता लगने के बाद किया जा सकता है। निम्न सुझावों से भी बहुत मदद होती है:

  • जीवन शैली में परिवर्तन (सिगरेट, शराब ड्रग्स आदि का सेवन न करके, व्यायाम बढ़ा कर, और प्राणायाम करके )
  • काउंसलिंग (इमोशनल करणों को दूर करके, स्ट्रेस-एंग्जायटी कम करके)
  • अन्य रोगों में दी गई दवाई में बदलाव लाकर
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए विशेष दवाएं देकर, सर्जरी से कोई शारीरिक दिक्कत दूर करके

एलोपैथिक दवाएं जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन में दी जाती हैं:

  1. सिल्डेनाफिल (वियाग्रा) sildenafil
  2. वारडेनाफिल (Levitra, Staxyn) vardenafil
  3. टाडलाफिल (Cialis) Tadalafil
  4. अवनाफिल (Stendra) avanafil

यह सभी दवाएं पेनिस में खून के दौरे को बढ़ाती हैं। ये सभी दवाइयां ऐसे व्यक्ति को नहीं लेनी चाहिए जो की नाइट्रेट्स दवाएं nitrates, हृदय रोग के लिए ले रहा हो।

जिसमें टेस्टोस्टेरोन की कमी हो उसे टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं। लेकिन ऐसी दवाएं उस व्यक्ति में काम नहीं करेंगी जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने का कारण नसों की कमजोरी या खून के दौरे में दिक्कत है।

इसके अतिरिक्त पेनिस पंप Penis pumps, पेनाइल इम्प्लान्ट्स Penile implants, और ब्लड वेसेल सर्जरी Blood vessel surgery भी इलाज़ के रूप में उपलब्ध हैं

आयुर्वेदिक दवाएं जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन में उपयोगी हैं

बहुत सी आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं जो की इरेक्टाइल डिसफंक्शन में उपयोगी हैं। लेकिन यह हमेशा ज़रूरी है की रोग के सही कारण का पता लगायें। तभी सही से उपचार संभव है।

  • हिमालया टेन्टेक्स रॉयल Himalaya Tentex Royal
  • हिमालया टेंटेक्स फोर्ट Himalaya Tentex forte
  • हिमालया कॉन्फीडो Himalaya Confido
  • हिमालया गोक्षुरा Himalaya Gokshura
  • सांडू विमफिक्स Sandu Vimfix
  • हिस्पो फोर्ट Hispo Forte
  • हिस्पो कैप्सूल Hispo Capsules
  • हिमालया हिमकोलिन जेल Himcolin Gel
  • हिस्पो जेल Hispo Gel
  • श्रीगोपाल तैल Shri Gopal Taila (Oil) इत्यादि

स्तम्भन दोष में लाभप्रद जड़ी-बूटियाँ

  • केवांच के बीज Kevanch Seeds
  • गोखरू काँटा Gokhru / Tribulus
  • सहजन के बीज Moringa seeds
  • अश्वगंधा जड़ Ashwagandha
  • शतावरी जड़ Shatavari / Wild Asparagus
  • सफ़ेद मूसली Safed Musli इत्यादि

इरेक्टाइल डिसफंक्शन को व्यक्ति में जीवन शैली में अवश्य परिवर्तन लाना चाहिए। उसे किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। सिगरेट का प्रयोग तो बिलकुल बंद कर देना चाहिए। खून के दौरे को सही रखने के लिए व्यायाम करना चाहिए। भोजन में पौष्टिक, सुपाच्य और हल्का भोजन करना चाहिए। फल, सब्जी, अनाज, दूध आदि का सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन कम करना चाहिए।

एल आरजिनिन, आयोडीन, नियासिन, सेलेनियम, जिंक, विटामिन सी और विटामिन ई L-Arginine, Iodine, Niacin, Selenium, Zinc, Vitamin C and E की कमी से भी स्तम्भन दोष हो सकता है। इसलिए इनकी कमी को दूर करना चाहिए।

मोटापा है तो उसे दूर करना चाहिए। प्राणायाम करना चाहिए जिससे शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा जाए और साथ ही अवसाद, स्ट्रेस आदि दूर हो।

शीघ्रपतन Premature ejaculation Home Remedies, Medicines and Tips in Hindi

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शीघ्रपतन shighrapatan वह मेडिकल कंडीशन है जिसमें सेक्स के दौरान वीर्य का स्खलन अचानक और बहुत जल्दी हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात रोक न सके। तो समय से पहले वीर्य का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन है। इस कंडीशन को इंग्लिश में प्रीमेच्यूर एजाकुलेशन कहते हैं। यह केवल पुरुषों में होती है और सेक्स से सम्बंधित है।

शीघ्रपतन एक वीर्यरोग है। समागम से पूर्व अथवा तुरंत बाद वीर्य स्खलित होना शीघ्रपतन का लक्षण है। यह पुरुषों में पायी जाने वाली कॉमन प्रॉब्लम है और कोई बीमारी नहीं है। करीब हर तीन पुरुष में से एक, इस स्थिति से कभी न कभी प्रभावित होता है। यह बहुत अधिक एक्साइटमेंट अथवा अन्य किन्ही शारीरिक कारणों से हो सकता है।

Persistent or recurrent ejaculation with minimal sexual stimulation before, on, or shortly after penetration and before the person wishes causing bother or distress.

PE is defined as ‘the inability to delay ejaculation sufficiently to enjoy lovemaking, which is manifested by either an occurrence of ejaculation before or very soon after the beginning of intercourse (if a time limit is required: before or within 15 seconds of the beginning of intercourse) or ejaculation occurs in the absence of sufficient erection to make intercourse possible.

Premature ejaculation is a male sexual dysfunction characterised by ejaculation which always or nearly always occurs prior to or within about one minute of vaginal penetration; and inability to delay ejaculation on all or nearly all vaginal penetrations; and negative personal consequences, such as distress, bother, frustration and/or the avoidance of sexual intimacy.

पर्याय: शीघ्र शुक्र स्खलन, Premature ejaculation PE

शीघ्रपतन के कारण

शीघ्रपतन होने के कारणों में शामिल है

  • इमोशनल फैक्टर्स
  • एंग्जायटी, स्ट्रेस
  • ब्रेन में कुछ केमिकल का कम होना
  • बहुत ज्यादा उत्तेजित होना
  • प्रोस्ट्रेट या पेशाब का कोई रोग
  • किसी अन्य रोग जैसे की डायबिटीज, प्रोस्ट्रेट में सूजन, उच्च रक्तचाप आदि का लक्षण
  • मादक पदार्थों का सेवन
  • संबंधों में समस्या

शीघ्रपतन का घरेलू उपचार Home Remedies for Premature Ejaculation

शीघ्र पतन में उपयोगी कुछ घरेलू उपचार नीचे दिए गए हैं:

  1. गोखरू, तालमखाना,केवांच के बीज, शतावर, अतिबला, नागबला की बराबर मात्रा ले लें। इन्हें बारीक पीस लें और कपड़े का प्रयोग करते हुए छान लें। इस बने हुए चूर्ण को एक डब्बे में रख लें। इस चूर्ण को दो से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम दूध में मिश्री मिलाकर लें। इसे भोजन करने के दो घंटे बाद लेना चाहिए। इसका सेवन दो-तीन महीने लगातार करने से उत्तम परिणाम मिलता है। यह कामोत्तेजक, नसों को ताकत देना वाला, बल की वृद्धि करने वाला और वीर्यवर्धक है। यह वीर्य को गाढ़ा करता है और शीघ्रपतन की समस्या को अपने बलवर्धक, वीर्यवर्धक और कामोत्तेजक गुण से जड़ से दूर करता है। इसमें पड़े सभी द्रव्य आयुर्वेद के जाने माने वाजीकारक हैं।
  • बादाम को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इसका छिलका निकाल कर, पत्थर पर घिस कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में 4-5 काली मिर्च, 2 ग्राम सोंठ और मिश्री का बारीक पेस्ट मिला दें। इसको चाट कर लें और फिर दूध पी लें। ऐसा २ महीने तक लगातार करें।
  • बरगद, जिसे वट वृक्ष भी कहते हैं के लाल और पूरे तरह से पके फलों को उसकी डालों से तोड़ लें। गिरे हुए फलों का प्रयोग न करें। उन्हें कपड़े पर बिछा कर छाया में सुखा लें। इनका चूर्ण बना लें और मिश्री को पीस कर बराबर मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को पांच ग्राम की मात्रा में प्रातः और सायं दूध के साथ लें।
  • तुलसी की जड़ औए मिश्री से बना चूर्ण दूध के साथ एक दो ग्राम की मात्रा में लेने से शीघ्रपतन की समस्या में आराम होता है।
  • बबूल के पत्ते, फूलों, छाल, फली और गोंद को सुखा कर बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह खाली पेट दो से दस ग्राम की मात्रा में पानी में लेना चाहिए।
  • बराबर मात्रा में अश्वगंधा, मुलेठी, तालमखाना, विधारा, और मिश्री को पीस कर, कपड़छन कर चूर्ण बनाकर रख लें। इसे पांच ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लें। मुलेठी का प्रयोह उच्च रक्तचाप और द्रव्य प्रतिधारण में नहीं करना चाहिए।
  • अश्वगंधा, बला और विदारी को पीस कर, कपड़छन कर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को आधा टीस्पून की मात्रा में बकरी के दूध के साथ लें। बकरी का दूध न हो तो गाय के दूध के साथ लें।
  • जिन्सेंग चूर्ण Ginseng Powder को आधा टीस्पून की मात्रा में दोपहर और रात्रि भोजन के बाद दिन में दो बार लें।
  • दस बादाम रात में भिगो लें। सुबह इन्हें छील लें। ब्लेंडर में गाय के दूध के साथ इसे बारीक पीस लें। एक कप दूध में इसे मिलालें और सोंठ, इलाइची और केसर मिला कर सुबह पियें।
  • प्रोस्ट्रेट ग्लैंड में यदि परेशानी है prostatitis, तो इसकी कैस्टर आयल से मालिश करें।
  • बीस मिलीलीटर तिल के तेल में दस बूँद सरसों का तेल मिला कर रख लें। इस तेल का प्रयोग पेनिस की मालिश करने में करें। मालिश समागम से एक घंटे पहले करें और सेक्स से पहले पेनिस को धो लें।
  • स्टार्ट – स्टॉप मेथड The “stop and start” method अपनाएँ। इस तकनीक में पुरुष को उसकी पार्टनर सेक्सुअली स्टीमुलेट करती है। जैसे ही लगता है वह चरम पर पहुँचने वाला है स्टीमुलेशन को 30 सेकंड के लिए रोक देते हैं और फिर इसे फिर से शुरू करते हैं। इस स्टॉप-स्टार्ट को कई बार करते है जब तक की पुरुष अपनी इच्छा से चरम पर पहुँचाना चाहता हो।
  • स्क्वीज मेथड The “squeeze” method अपनाएँ। इस तकनीक में पुरुष जब सेक्सुअली स्टीमुलेट होता है और उसे जैसे ही लगता है वह चरम पर पहुँचने वाला है तो उसके पार्टनर को पेनिस (ग्लांस और शाफ़्ट के मिलने वाली जगह) को हल्के से कुछ सेकेण्ड दबाकर रखना चाहिए। थोड़ी देर में प्रक्रिया को फिर से करना चाहिए।
  • कंडोम को लगाकर सेक्स करने से भी एजाकुलेशन का समय बढ़ जाता है।
  • गहरी सांस लें और रुक जाएँ।

उपयोगी जड़ी-बूटियाँ

जड़ी-बूटियाँ जो शीघ्रपतन में उपयोगी हैं

  1. गोखरू Tribulus terrestris
  2. सफ़ेद मूसली Asparagus adscendens
  3. केवांच के बीज Mucuna pruriens
  4. मेथी Trigonella foenum-graecum
  5. जायफल Myristica fragrans
  6. अर्जुन Terminalia arjuna
  7. पिप्पली Piper longum
  8. शिलाजीत Mineral pitch, vegetable asphalt, bitumen

आयुर्वेदिक दवाएं Ayurvedic Medicines for Premature Ejaculation

  1. अश्वगंधा चूर्ण Ashwagandha Churna
  2. अश्वगंधा पाक Ashwagandha Pak
  3. कामदेव चूर्ण Kamdev Churna
  4. कौंच पाक Kaunch Pak
  5. गोक्षुरादि गूग्गुलु Gokshuradi Guggulu
  6. गोक्षुरादि चूर्ण Gokshuradi Churna
  7. चंद्रप्रभा वटी Chandraprabha Vati
  8. धातुपौष्टिक चूर्ण Dhatupaushtik Churna
  9. निद्रोदय रस Nidrodaya Rasa
  10. मकरध्वज गुटिका Makardhwaj Gutika
  11. मदन प्रकाश चूर्ण Madan Prakash Churna
  12. मन्मथ रस Manmath Ras
  13. मूसली चूर्ण Safed Musli Churna
  14. वानरी कल्प Vanari Kalpa
  15. सांडू विमफिक्स Vimfix
  16. सुपारी पाक Supaari Paak
  17. बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड स्वर्ण युक्त
  18. हिमालया कॉन्फीडो Himalaya Confido
  19. दिव्य शिलाजीत रसायन वटी Divya Shilajeet Rasayan Vati
  20. दिव्य यौवनामृत वटी – Divya Yauvanamrit Vati
  21. ऊँझा मकरध्वज वटी Makardhwaj Vati
  22. चरक निओ Charak Neo Tablet
  23. शिलाप्रवंग Shilapravang Dhootapapeshwar

 

टोपिकल क्रीम

मल्ल तैल Malla Taila (Oil)

श्रीगोपाल तैल Shri Gopal Taila (Oil)

मैनफोर्स स्टेलोंग जेल Manforce Staylong Gel

यूनानी दवाएं

  1. Majun Ispand Sokhtani / Majun Aspand Sokhtani
  2. Majoon-e-Piyaaz
  3. Majoon-e-Supaari Paak
  4. Majoon-e-Falaksair
  5. Jawarish-e-Kundur
  6. Habb-e-Jadwaar

कुछ उपयोगी टिप्स

  1. आयुर्वेद में इसे वात का रोग तथा वीर्य में अधिक गर्मी का रोग बताया गया है। इसलिए वातदोष को संतुलित करें।
  2. बहुत अधिक ठंडी चीजों जैसे की आइसक्रीम, बर्फ, कोल्ड ड्रिंक्स आदि का सेवन न करें।
  3. चीनी का बहुत अधिक सेवन न करें।
  4. ठंडे वातावरण में न रहें।
  5. बहुत अधिक मात्रा में कच्चे भोजन और जूस का सेवन न करें।
  6. धुम्रपान, अल्कोहल, तथा कॉफ़ी, ठन्डे जमे खाने का सेवन न करें।
  7. लहसुन का सेवन न करें।
  8. संतरे का रस पियें।
  9. योग करें, गुस्सा न करें और प्राणायाम नियमित करें।
  10. व्यायाम करें।
  11. समागम के तुरंत बाद ठन्डे पानी का प्रयोग न करें।
  12. कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करें।
  13. शुगर लेवल / डायबिटीज को कण्ट्रोल करें।
  14. यदि लम्बे समय से PE है तो यह डिप्रेशन, डायबिटीज, हृदय रोग, एंग्जायटी आदि का लक्षण हो सकता है।
  15. सही कारण का पता लगाने की कोशिश करें जिससे सही उपचार हो सके।

जिंजीवाइटिस Gingivitis in Hindi

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जिन्जेवाईटिस मसूड़े की सूजन के लिए प्रयोग की जाने वाली मेडिकल टर्म है। Gingivitis is inflammation of the gums।  यह एक पेरिओडोंटल periodontal रोग है। पेरिओडोंटल रोग में उन ऊतकों / टिशु, में सूजन और संक्रमण हो जाता है जो की दांत को सपोर्ट करते हैं। यह ऊतक पेरिओडेंटल लिगामेंट, टूथ सोकेट या गम हो सकते है। जिन्जेवाईटिस के लक्षणों में शामिल है मसूड़ों से खून आना, मसूड़ों का सूज जाना-फूल जाना, दर्द होना, मुंह में छाले हो जाना आदि।

पर्याय: Gum disease, Periodontal disease

जिंजीवाइटिस किन कारणों से हो सकता है?

जिंजीवाइटिस मसूड़ों की समस्या है और मसूड़ों में कोई भी इन्फेक्शन इसका कारण हो सकता है।

दांतों में जमने वाला प्लाक इसका मुख्य कारण है। प्लाक एक चिपचिपा सा पदार्थ है जो की दांतों में जम जाता है। यह बैक्टीरिया, म्यूकस, और खाने से बना हुआ होता है। प्लाक यदि साफ़ नहीं होता तो यह टार्टर बन जाता है और दांतों में जम जाता है। दांतों में नीचे जमा हुआ टार्टर मसूड़ों में सूजन पैदा करता है। यही मसूड़ों में होने वाली सूजन मेडिकल भाषा में जिंजीवाइटिस कहलाती है।

जिंजीवाइटिस खतरे को बढ़ाने वाली कुछ अन्य स्थितियां है:

  1. दांतों का टेढ़ा मेढ़ा होना
  2. दांतों में डेन्चर, ब्रेसेस लगा होना, क्राउन ठीक से लगा होना
  3. दांतों की सफाई ठीक से न करना
  4. शरीर में कुछ तरह के इन्फेक्शन
  5. गर्भावस्था
  6. अनियंत्रित डायबिटीज
  7. कुछ दवाओं का सेवन जैसे गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन आदि।

जिंजीवाइटिस के क्या लक्षण हैं?

  1. मसूड़ों से खून आना
  2. मसूड़ों का रेड – परपल हो जाना
  3. मसूड़ों को छूने पर उनमें दर्द होना
  4. महू में छाले हो जाना
  5. मसूड़ों का चमकना

जिंजीवाइटिस की जांच कैसे होती है?

जिंजीवाइटिस की जांच के लिए डेंटिस्ट मुंह की जांच करते हैं। देख कर और मसूड़ों के लाल-फूले-सूजन वाले होने से जिंजीवाइटिस होने की सम्भावना होती है। दांतों के नीचे प्लाक देखा जा सकता है।

डेंटल एक्स रे द्वारा दांतों में किसी भी दिक्कत न होने को कंफ़र्म करते हैं।

जिंजीवाइटिस का इलाज़

  1. जिंजीवाइटिस में मसूड़ों की सूजन दूर करने के लिए पेस्ट का प्रयोग कर सकते हैं।
  2. डेंटिस्ट दांतों की सफाई की भी सलाह भी देते है।
  3. गर्म पानी में नमक घुला कर मुंह में कुछ देर रखकर फिर कुल्ला करते हैं।

जिंजीवाइटिस के लिए लाभप्रद पेस्ट/लिक्विड

  1. GUM-TONE Charak
  2. HIORA TOOTHPASTE Himalaya
  3. GELORA Reckitt Benckiser
  4. KAMILLOSAN LIQD Zydus (G Rem)

जिंजीवाइटिस को कैसे रोकें?

  1. मुंह को अच्छे से साफ़ करें।
  2. दिन में दो बार ब्रश करें।
  3. फ्लोसिंग करें।
  4. प्लाक न जमने दें।
  5. एंटीप्लाक और एंटीटार्टर टूथपेस्ट का प्रयोग करें।
  6. साल में दो बार डेंटिस्ट से टीथ क्लीनिंग कराएं।

टेस्टोस्टेरोन Testosterone in Hindi

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टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, सेक्स में अरुचि, नपुंसकता, प्रजनन क्षमता की कमी आदि। यदि व्यक्ति को ऐसा लगे की उसमें टेस्टोस्टेरोन की कमी हो सकती है तो वह ब्लड टेस्ट के द्वारा शरीर ने टेस्टोस्टेरोन के स्तर की जांच सकता है। यदि कमी हो तो उसका उपचार भी संभव है।

क्या टेस्टोस्टेरोन महिलाओं में भी होता है?

टेस्टोस्टेरोन, स्त्री – पुरुष दोनों में ही पाया जाता है। यह एक एण्ड्रोजन है और मुख्य रूप से पुरुष हॉर्मोन है लेकिन स्त्रियों में ओवरी से एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन दोनों ही बनते हैं। स्त्रियों में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा बहुत कम होती है और मुख्य रूप से एस्ट्रोजन हॉर्मोन ही यौन अंगों और प्रजनन अंगों के विकास और सही रूप से कार्य करने के लिए जिम्मेदार है।

यदि किन्हीं कारणों से महिला में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा बढ़ जाती है तो मासिक धर्म पर सीधा प्रभाव पड़ता है। या तो मासिक अनियमित हो जाता है नहीं आता है। अधिकता में होने पर महिला में गंजापन, मुंहासे, आवाज़ का भारी होना और मांसपेशियों का विकास हो सकता है।

जहाँ पुरुषों की फर्टिलिटी के लिए टेस्टोस्टेरोन आवश्यक है वाही महिला में इसके बढ़ने से बाँझपन होता है।

महिला में टेस्टोस्टेरोन के बढ़े स्तर के कुछ लक्षण निम्न हैं:

  1. सेब जैसा दिखने वाल शारीरिक आकार
  2. बालों का गिरना
  3. मासिक का अनियमित होना
  4. अच्छे कोलेस्ट्रोल का कम होना
  5. इन्सुलिन रेजिस्टेंस
  6. ट्राइग्लिसराइड का बढ़ जाना
  7. मोटापा
  8. उच्च रक्चाप आदि

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन कहाँ बनता है?

पुरुष की अंडग्रंथि या टेस्टिकल के अन्दर कई सेल्स पायी जाती हैं, जिनमें से सेरेटोली सेल शुक्राणु तैयार करने के लिए और लेडिग टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है।

टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन और उत्सर्जन को पीयूष ग्रंथि से निकलने वाला लूटेनाइजिंग हॉर्मोन नियंत्रित करता है। पीयूष ग्रन्थि का नियंत्रण हाईपोथैलमस से निकलने वाले गोनेडोट्रोपिन रिलीजिंग हॉर्मोन के पास होता है।

टेस्टोस्टेरोन का शरीर में क्या काम है?

टेस्टोस्टेरोन, मेल सेक्स हॉर्मोन है जो की पुरुष के शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण काम करता है। यह पुरुष के शरीर में बालों का डिस्ट्रीब्यूशन, बोन मॉस, मसल्स मास, फैट का डिस्ट्रीब्यूशन, आवाज़, समेत सेक्स ड्राइव, और स्पर्म के बनने का भी कारण है।

लड़कों में यौवनावस्था में होने वाले परिवर्तन जैसे की मूंछ, दाढ़ी आना, आवाज़ बदल जाना, अचानक से हाइट बढ़ जाना, इन्द्रिय का आकार बढ़ जाना आदि इसी हॉर्मोन के कारण होता है।

यह पुरुषों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यह मांसपेशियों-हड्डियों की ताकत के लिए अनिवार्य है।

यह सेक्स ड्राइव को बनाये रखने, स्पर्म काउंट और फर्टिलिटी के लिए आवश्यक है।

शरीर में कम टेस्टोस्टेरोन के लक्षण क्या हैं? Symptoms of Low testosterone level

कम टेस्टोस्टेरोन पूरे शरीर को प्रभावित करता है। व्यक्ति में शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति की कमी हो जाती है। चीजें याद नहीं रहती। उसे हमेशा थकावट रहती है, वज़न बढ़ जाता है, मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती है और कोलेस्ट्रोल आदि बढ़ जाता है।

यदि शरीर में यह लक्षण हैं, तो हो सकता है शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है :

यौन अंगों पर दिखने वाले लक्षण sexual problems related to testosterone low level

टेस्टोस्टेरोन के कम होने का सीधा असर यौन अंगों पर पड़ता है। इअसे में सेक्स की चाह कम हो जाती है। तनाव नहीं आता और आने पर स्खलन जल्दी हो जाता है। मूत्र विकार भी उत्त्पन्न हो जाते हैं। शरीर में थकावट और उर्जा की कमी महसूस होती है।

  1. कम सेक्स की इच्छा Reduced sex drive
  2. इरेक्शन नहीं होना Difficulty getting an erection
  3. ओर्गेस्म में दिक्कत Delayed orgasm
  4. स्खलन की कम मात्रा Reduced ejaculate volume
  5. कम शुक्राणु Low sperm count
  6. नपुंसकता, Impotence, Infertility
  7. गाइनेकोमैस्टिया Gynaecomastia

अन्य लक्षण other symptoms

  1. मांसपेशियों की कमजोरी, ताकत की कमी Reduced muscle mass, power, and strength
  2. दुर्बलता Weakness
  3. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द Muscle and joint aches
  4. मोटापा Increased fat or obesity
  5. बढ़े हुए स्तन Enlarged, swollen or tender breasts
  6. शरीर, चेहरे पर कम बाल Reduced facial, body and/or pubic hair
  7. हड्डियों के घनत्व में कमी, अस्थि भंग या ऑस्टियोपोरोसिस Decreased bone density, bone fractures
  8. or osteoporosis
  9. शरीर झुक जाना Loss of height
  10. रात में पसीना आना Night sweats or hot flushes
  11. थकान Fatigue
  12. चिड़चिड़ापन, दुखी या उदास Feeling irritable, sad or depressed
  13. एकाग्रता या स्मृति की कमी Trouble with concentration or memory

शरीर में कम टेस्टोस्टेरोन के क्या कारण हैं? Reasons for low testosterone level

शरीर में कम टेस्टोस्टेरोन बनने के के कई कारण हो सकते हैं और इस्न्हे मुख्य रूप से प्राइमरी और सेकेंडरी कारणों में बांटा जा सकता है।

प्राइमरी कारण

यह मुख्य कारण माने जा सकते हैं औरे वृषण testicles से जुड़े होते हैं।

  1. Klinefelters syndrome
  2. Undescended testes
  3. एक या दोनों अंडकोष को चोट Injury to one or both testicles
  4. Certain chemotherapies

सेकेंडरी कारण

  1. यह कारण प्रजनन अंग से नहीं अपितु अन्य कारकों पर निर्भर हैं।
  2. पिट्यूटरी ग्रंथि के विकार / ट्यूमर Disorders / tumors of pituitary gland
  3. विकिरण / सर्जरी पिट्यूटरी ग्रंथि को Radiation / surgery to pituitary gland
  4. दवाओं का सेवन Medicines intake
  5. मोटापा Obesity
  6. कम थायराइड Low thyroid function
  7. स्ट्रेस

टेस्टोस्टेरोन का स्तर कैसे मापा जाता है? Measuring testosterone level

टेस्टोस्टेरोन को नापने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है।

पुरुषों में सामान्य रेंज: 300 to 1,000 nanograms per deciliter (ng/dL) or 10.41 to 34.70 nanomoles per liter (nmol/L)

किन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन कम होने का रिस्क अधिक है? Risk factors

उम्र बढ़ने के साथ-साथ टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है। पैंतालिस वर्ष से अधिक आयु के करीब चालीस प्रतिशत लोगों में कम टेस्टोस्टेरोन देखा गया है। कुछ दवाओं का सेवन भी टेस्टोस्टेरोन के लेवल को कम कर देता है।

कम टेस्टोस्टेरोन को Male menopause, Andropause, Testosterone deficiency, Androgen deficiency of the aging male, Late-onset hypogonadism आदि नामों से जाना जाता है।

इन रोगों से पीड़ित पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने के आसार अधिक होते हैं:

  1. मधुमेह Diabetes
  2. उपापचयी लक्षण Metabolic syndrome
  3. मोटापा Obesity
  4. उच्च रक्तचाप Hypertension
  5. स्लीप एप्निया Sleep apnea
  6. वृक्कीय विफलता Renal failure

कम टेस्टोस्टेरोन का इलाज क्या है? Treatment Option

टेस्टोस्टेरोन के कम स्तर को एलॉपथी में टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी testosterone replacement

therapy (TRT) द्वारा सही किया जाता है। इसमें टेस्टोस्टेरोन को शरीर में दवाओं, इंजेक्शन, जेल, इम्प्लांट पेलेट द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है।

टेस्टोस्टेरोन एक हॉर्मोन है और यदि टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की जा रही है तो इसे केवल डॉक्टर की देख रेख में ही करवाएं। इस प्रकार बढ़ाये जाने पर यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो यह शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है तथा इससे वृषण शोष, पुरुष पैटर्न गंजापन, लाल रक्त कोशिकाओं की बढ़ोतरी, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक,छाती का आकार महिला की तरह बढ़ जाना gynecomastia प्रोस्टेट बढ़ने का खतरा और सोडियम और पानी प्रतिधारण आदि हो सकता है। testicular atrophy, male pattern baldness, elevated red blood cell counts, elevated blood pressure, and polycythemia and increased risk of stroke, gynecomastia, prostatic enlargement, and sodium and water retention

कौन सा भोजन टेस्टोस्टेरोन सामान्य करने के लिए लाभकारी है? Food items for increasing testosterone naturally

  1. जिंक युक्त आहार लें।
  2. कद्दू, सूर्यमुखी के बीजों का सेवन करें।
  3. सोयाबीन खाएं।
  4. सेब, केले, अंगूर, संतरे, पपीता, अनार खाएं।
  5. लहसुन, मशरूम को भोजन में शामिल करें।
  6. विटामिन बी 6, बायोटिन लें।
  7. चवनप्राश खाएं।
  8. प्रोटीन युक्त आहार लें।
  9. ताज़े फल और सब्जी खाएं।
  10. दूध पियें।
  11. ड्राई फ्रूट्स खाएं।
  12. हल्दी का सेवन करें।
  13. धूप में जाएँ जिससे शरीर को विटामिन डी मिले।

जड़ी-बूटियाँ जो टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में लाभप्रद है:

  1. गोखरू
  2. केवांच
  3. सरिवा
  4. जिन्सेंग
  5. मूसली
  6. अश्वगंधा
  7. चोप चीनी
  8. सरिवा

कौन सा भोजन न करें?

  1. बहुत अधिक वसा युक्त भोजन
  2. मैदा युक्त भोजन
  3. प्रोसेस्ड फूड्स
  4. डाइट सोडा
  5. कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
  6. अल्कोहल
  7. माइक्रोवेव पॉपकॉर्न
  8. अधिक चीनी, मिठाई
  9. चॉकलेट

सही भोजन के चुनाव द्वारा कुछ हद तक टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। भोजन के अतिरिक्त रोजाना किया जाने वाला व्यायाम भी बहुत लाभप्रद है। व्यक्ति को स्ट्रेस लेवल को भी कम करने को कोशिश करनी चाहिए। डिप्रेशन, अवसाद आदि सभी में प्राणायाम या दीप ब्रीथिंग करने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और दिमाग शांत होता है। इसके अतिरिक्त पुरुषों को बहुत अधिक टाइट अंडरगारमेंट नहीं पहनने चाहिए।

आइसोटीन आई ड्रॉप्स Isotine Eye Drops Fact and Review in Hindi

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आइसोटीन आई ड्रॉप्स, जगत फार्मा द्वारा निर्मित एक आई ड्राप है। इसे आँखों में किसी भी अन्य ऑय ड्राप की तरह डाला जाता है। इसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और भस्में है।

इस ऑय ड्राप के तीन प्रोडक्ट हैं: आइसोटीन आई ड्रॉप्स,आइसोटीन प्लस आई ड्राप और आइसोन्यूरॉन कैप्सूल।

आइसोन्यूरॉन कैप्सूल और आइसोटीन प्लस आई ड्राप को आइसोटीन गोल्ड का नाम दिया गया है।

निर्माता का दावा है की यह ड्रॉप्स आँखों की लगभग सभी तरह की सामान्य बिमारियों में लाभप्रद है। लेकिन यह दावे कितने सही हैं, हमें इसके बारे में जानकारी नहीं है। खोज करने पर हमें इसके मिक्स्ड रिव्यु मिले। कुछ लोगों का कहना है यह दवा केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध है। अपनी वेबसाइट पर हम इस दवा को एंडोर्स नहीं कर रहे। हमारी कोशिश इसके बारे में सही जानकारी देने की है।

इस दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है, और न ही दवा की तरह इस्तेमाल होती है, इसका पेटेंट सिर्फ इंडिया का है जो की अब लैप्स हो चुका है, इसका मतलब अब इसे की भी कंपनी बना और बेच सकती है। अगर यह आयुर्वेदिक फार्मूला इतना ही अच्छा होता तो और भी कंपनियां इसे बनाने लगती। इनकी वेबसाइट पर जो भी दावे किये गए हैं उन सब का कोई भी इनके पास आधार नहीं है। ये खुद भी अपनी वेबसाइट के “Term of Uses of Isotine” पर लिखे हैं।

ये दवा बस आँखों को रिलैक्स कराती है, इसको लगाने से कोई नुक्सान तो नहीं होगा लेकिन ये आँखों की बिमारियों को ठीक भी नहीं कर सकती है, थोड़ा बहुत आराम मिल सकता है। अगर ये आँखों से चश्मा उतार देती तो सभी लोगों का चश्मा उतर जाता, कलर ब्लाइंडनेस जेनेटिकल डिसऑर्डर होता है जो की कभी भी ठीक नहीं हो सकता है।

The Advertising Standards Council of India ASCI CCC Decisions October 2014

अक्टूबर 2014 में, एएससीआई की उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) 146 में 105 से विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को सही ठहराया।

Jagat Pharma Isotine Eye Drops: The advertisement of Isotine Eye Drops claims to give relief from any eye problems in 5 minutes without surgery. It further states this “incredible research by Dr Basu”, with the Doctor promoting the clinic which is in violation of the Medical Council of India MCI Code of Medical Ethics Regulation, Clause 6.1.

बाकि अगर आप पढना चाहते है तो निचे पढ़ें

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है, वह निर्माता के द्वारा उपलब्ध जानकारी के आधार पर है।

Isotine Eye Drops is an herbal and mineral containing eye drop from Jagat Pharma. Manufacturer claims it is beneficial in most of eye diseases. It improvs vision and helps to remove glasses.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

उपलब्धता: यह ऑनलाइन

दवाई का प्रकार: ऑयड्राप

मुख्य उपयोग: आँखों की कमजोरी दूर करना और नेत्र रोग

मूल्य MRP:

  1. Isotine Eye drops 6 Vials of 10 ml eye drop 3 Months @ Rs 550.00
  2. Isotine Gold 2 Month Course 4 Vials Eye Drops 60 Capsules @ Rs 1600.00

 

आइसोटीन आई ड्रॉप्स के घटक Ingredients of Isotine Eye Drops

आइसोटीन आई ड्रॉप्स

  1. पलाश Butea Monosperma 0.3%
  2. अपामार्ग Achyranthes Aspera 0.3%
  3. पुनर्नवा Boerhavia Diffusa 0.3%
  4. यशद भस्म Jasad Bhasma 0.06%
  5. टंकण भस्म Tankan Bhasma 2.0%
  6. फिटकिरी Alum 0.4%
  7. तुथ्य भस्म Tuth Bhasma 0.04%
  8. सत्व पुदीना Mentha Piperita 0.015%
  9. बैन्ज़ल कोलियम क्लोराइड Benzalkonium Chloride 0.01%
  10. पानी aqua 10 मिली

आइसोटीन प्लस आई ड्राप

  1. पलाश Butea Monosperma 0.3%
  2. चन्दन Santalum Album 0.3%
  3. बहेड़ा Terminalia Bellerica 0.3%
  4. आंवला Emblica Officinalis 0.3%
  5. जीवन्ति Holostemma ada-kodien Schult 0.3%
  6. अपामार्ग Achyranthes Aspera 0.3%
  7. पुनर्नवा Boerhavia Diffusa 0.3%
  8. यशद भस्म Yashad Bhasma 0.06%
  9. टंकण भस्म Tankan Bhasma 2.0%
  10. फिटकिरी Alum 0.4%
  11. तुथ्य भस्म Tuth Bhasma 0.04%
  12. सत्व पुदीना Mentha Piperita 0.015%
  13. बैन्ज़लकोलियम क्लोराइड Benzalkonium Chloride 0.01%
  14. पानी aqua 10 मिली

आइसोटीन गोल्ड = आइसोटीन प्लस आई ड्रॉप्स + आइसोन्यूरॉन कैप्सूल

आइसोन्यूरॉन कैप्सूल

  1. मुलेठी Licorice – Glycyrrhiza Glabra 60 mg
  2. वच Vacha – Acorus Calamus 60 mg
  3. जटामांसी Spikenard – Nardostachys Jatamansi 60 mg
  4. अश्वगंधा Withania Somnifera 60 mg
  5. शंखपुष्पी Convolvulus Pluricaulis 60 mg

टंकण भस्म

टंकण, टंकन, टैंक, टंगन, द्रावक, टंकणक्षार, रंगक्षार, रंग, रंगद, सौभाग्य, धातुद्रावक, क्षारराज आदि सभी सुहागे या बोरेक्स के नाम हैं। सुहागा, सोडियम टेट्राबोरेट, या डाईसोडियम टेट्राबोरेट है। यह एक खनिज है और बोरिक एसिड का लवण है।

टंकण में संकोचक, सेडेटिव और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। इसे आंतरिक रूप से तो प्रयोग किया ही जाता है साथ ही बाह्य रूप से भी त्वचा रोगों, बालों में रूसी और आँखों के रोग में प्रयोग किया जाता है। यह आँखों के रोगों में लाभप्रद है क्योंकि एंटीबायोटिक है और आँखों को साफ़ करता है।

फिटकरी

फिटकरी को संस्कृत में स्फटिका, हिंदी में फिटकरी, इंग्लिश में पोटाश एलम कहते है। कांक्षी, तुवरी, स्फटिका, सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका आदि इसके अन्य संस्कृत पर्याय हैं। यह एक रंगहीन, क्रिस्टलीय पदार्थ है। साधारण फिटकरी का रासायनिक नाम ’पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट’ KAl(SO4)2।12H2O होता है। देखने में यह प्राकृतिक नमक के ढेले जैसी होती है।

फिटकरी अपने एसट्रिनजेंट / संकोचक गुणों के कारण रक्तस्राव को रोकने और घावों पर लागाई जाती है। फिटकरी के पानी से आँखों को धोने से आँखों में पानी गिरना, कंजंक्टिवाइटिस आदि में लाभ होता है। फिटकरी के पानी से आँखों को धोने से आँखों की थकावट और सूजन में बहुत लाभ होता है।

यह संक्रमण को दूर करती है। आँखों से पानी आना, लाली, कीचड़, पकना, दुखना, सूजन diseases of eyes में 50 ml गुलाब जल में 500-600 mg, फिटकरी घोलकर रख लें। इसे कुछ बूंदों में आँखों में डालने से लाभ होता है।

आइसोटीन आई ड्रॉप्स के लाभ/फ़ायदे Benefits of Isotine Eye Drops

  1. निर्माता का दावा है की यह दवा आँखों की रौशनी बढ़ाने में लाभप्रद है।
  2. कुछ महीने के प्रयोग से चश्मा हट जाता है।
  3. दूर दृष्टि और निकट दृष्टि दोनों में ही यह लाभप्रद है।
  4. यह दावा भी है की यह आँखों के लगभग हर रोग में लाभप्रद है।

आइसोटीन आई ड्रॉप्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Isotine Eye Drops

  1. आँखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए
  2. आँखों के रोगों में Improving vision
  3. मोतियाबिंद Cataract
  4. रंग दृष्टिहीनता वर्णांधता Colour Blindness
  5. रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा Retinitis Pigmentosa
  6. मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी Diabetic Retinopathy
  7. दिखाई कम देना, चश्मा हटाने के लिए
  8. ग्लूकोमा Glaucoma
  9. निकट दृष्टि दोष Myopia
  10. दूर दृष्टि दोष Hypermetropia
  11. कंप्यूटर सिंड्रोम Computer vision syndrome
  12. मधुमेह के कारण दृष्टि दोष Diabetic Retinopathy

आइसोटीन आई ड्रॉप्स का प्रयोग कैसे करें?

  1. यह एक आई ड्राप है और उसी प्रकार से प्रयोग की जाती है।
  2. आई ड्राप प्रयोग करने से पहले हाथों को साबुन से साफ़ करें।
  3. इस आईड्राप को दिन में तीन बार आँखों में डालना है।
  4. दस साल से छोटे बच्चों की आँख में एक बूँद ड्राप डालें।
  5. दस साल से अधिक आयु के बच्चों और व्यस्क दो बूँद आँखों में डाल सकते हैं।
  6. ड्राप डालने के बाद आँखों को बंद रखें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. ड्राप को डालने से पहले आँखों की जांच करवाएं।
  2. ड्रॉप्स का प्रयोग करने के बाद नियमित आँखों की जांच कराएँ जिससे फायदा या किसी भी तरह का नुक्सान पता लग सके।
  3. दवा को तीन महीने या उससे अधिक समय तक प्रयोग करने का निर्देश है।
  4. अगर दवा आप को सूट करे तो प्रयोग करते रहें।
  5. आँखें बहुत ही नाज़ुक होती हैं। यदि कभी भी लगे की यह आपको सूट नहीं कर रही तो दवा का प्रयोग रोक दें और कृपया डॉक्टर से संपर्क करें।
  6. हर दवा, हर व्यक्ति को सूट नहीं करती।
  7. दवा के मिक्स्ड रिव्यु हैं।
  8. कंपनी का दावा है यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।
  9. कुछ लोगों को मिनरल कंटेंट से एलर्जी होती है।

इस दवा को आँखों में डालने से सूजन, लाली, पानी गिरना, में लाभ हो सकता है। लेकिन रेटिना की दिक्कतों, रंग न देख पाना, लम्बे समय से डायबिटीज के कारण होने वाले आँखों के रोगों, डिजनरेशन के कारण होने वाले रोगों, कमजोरी के कारण आँखों की समस्याएं, में भी यह लाभप्रद होगी, यह संदेहजनक है क्योंकि इस दवा का कोई भी घटक ऐसा नहीं जो इस प्रभाव के लिए आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता हो। निर्माता का यह दावा की यह पांच मिनट में ही यह आँखों के सभी रोगों को ठीक कर देगी, सही नहीं लगता। दवाएं वैसे भी कोई जादू नहीं है। एक ही दवा सब रोगों का इलाज हो यह भी तो संभव नहीं है।

क्योंकि यह आँखों की दवा है इसलिए यह विशेष सावधानी की ज़रूरत है।

लीची के सेवन के नुकसान Litchi can be Toxic in Hindi

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लीची Litchi chinensis, Lychee, Litchi गर्मियों में मिलने वाला रस और स्वाद से भरा फल है। लीची सदाहरित वृक्ष है जो की विश्व के कई देशों में इसके स्वादिष्ट फलों के लिए उगाया जाता है। भारत समेत, लीची अमेरिका, अफ्रीका, मेडागास्कर, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि सभी जगह पर उगाई जा रही हैं।

यह चीन का मूल निवासी है। चीन के लोचू द्वीप में पाए जाने के कारण इसे लीची नाम मिला। पुराने चीनी साहित्यों में लीची के बारे में वर्णन मिलता है।

भारतवर्ष में लीची सत्रहवीं शताब्दी के आस-पास, चीन से मयन्मार होते हुए भारत आई। भारत के पूर्वी हिस्से से यह बंगाल में और फिर देश के कई हिस्सों जैसे की बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब में उगाई जाने लगी। लीची के बगीचे बिहार में बहुत पाए जाते हैं।

लीची के फलों को ताज़ा, जूस की तरह और सुखाकर आदि कई प्रकार से खाया जाता है। भारत में लीची बिहार में खूब उगाई जा रही है और मुज्जफरपुर की लीची तो विश्व प्रसिद्ध है। देश में लीची की पैदावार का 75 प्रतिशत यही से आता है। बिहार के अतिरिक्त लीची देहरादून में भी खूब उगाई जा रही है।

क्या आपको पता है की लीची के फल खाने से विषाक्तता poisoning भी हो सकती है और जान भी जा सकती है। सुनने में अजीब और अविश्वनीय लगता है। बहुत से लोग शायद इस बात पर विश्वास भी न करें। लेकिन यह बात बिलकुल सही है।

जून 2014, में मालदा और फिर बिहार के मुज्जफरपुर में बहुत से बच्चों की जान लीची खाने से चली गई। पहले तो वैज्ञानिकों को इसका सही कारण नहीं समझ आया। डॉक्टरों ने इस अचानक से होने वाले रोग को पहले वायरल एनसेफेलाईटिस viral encephalitis और बाद में एक्यूट एनसेफेलाईटिस सिंड्रोम acute encephalitis syndrome के रूप में गलत पहचान दी। लेकिन इस रोग के लिए जिम्मेदार कोई भी वायरस नहीं मिला है।

देखा गया की ज्यादातर बच्चे जो की इसका शिकार हुए, वे पूरी तरह से स्वस्थ्य थे और दिन भर लीची के बाग़ में खेल रहे थे। शाम को घर आकर बीमार लगने के कारण खाना उन्होंने खाना नहीं खाया था। अगले दिन, सुबह उन्हें सीज़र, बेहोशी तथा अन्य लक्षणों के कारण हॉस्पिटल ले जाया गया। उन में सभी में एक कॉमन चीज देखी गई की ब्लड ग्लूकोस लेवल बहुत कम था। कुछ में रक्त शर्करा का स्तर 8 mg/dL तक खतरनाक रूप से कम था। बीमारी के लक्षण encephalitis जैसे थे। इन्ही सभी पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए उन कारणों की खोज शुरू हुई जो बच्चों की इस बिमारी के पीछे थे।

भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध किया और अब इस शोध के परिमाण चौकाने वाले हैं।

According to a research study done by a team of researchers from US and India, and published in the medical journal The Lancet, it stated, “Our investigation suggests an outbreak of acute encephalopathy in Muzaffarpur associated with both hypoglycin A and MCPG toxicity”.

अमेरिका और भारत के शोधकर्ताओं Researchers from the US Center for Disease Control and Prevention and India’s National Centre for Disease Control  की एक टीम ने शोध किया है जिसे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित journal Lancet Global Health किया है। इसके अनुसार, यह कहा गया है, “हमारी जांच से यह पता चलता है की मुजफ्फरपुर में तीव्र मस्तिष्क विकृति encephalopathy, इनसिफलोपैथी का कारण लीची में पाया जाने वाला हाइपोग्लाइसिन A hypoglycin A और MCPG है। लीची में hypoglycin A / methylene cyclopropyl-alanine (MCPA) होता है। जो खून में रक्त शर्करा को तेज़ी से गिरा देता है। तेज़ी से गिरता हुआ ग्लूकोस का स्तर दिमाग के लिए बहुत हानिकारक है। यह स्थिति हाइपोग्लाईसिमिया Low Blood Glucose (Hypoglycemia) कहलाती है।

हाइपोग्लाईसिमिया / सामान्य से बहुट कम ब्लड शुगर लेवल होने पर निम्न लक्षण दिखते हैं:

  • खाने या पीने में असमर्थता Unable to eat or drink
  • आक्षेप, बेहोशी और ऐंठन Seizures or convulsions (jerky movements)
  • बेहोशी Unconsciousness आदि

वैज्ञानिकों ने पाया है कि लीची के फल खाने से और दिन भर भूखे रहने से, रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक कम (70 एमजी / डीएल से कम) हो जाता है। यही कम शर्करा का स्तर तीव्र मस्तिष्क विकृति का कारण है जिससे है एक्यूट इनसिफलोपैथी / हाइपोग्लाईसिमिक इनसिफलोपैथी होती है, दौरे पड़ते है provokes seizures and coma व्यक्ति को बेहोशी आती और जान चली जाती है।

बच्चों में यह अधिक खतरनाक है क्योंकि बच्चों में यकृत में जमा हुआ ग्लाइकोजन कम होता है। इसके अतिरिक्त बच्चे खाना भी कई बार नहीं खाते। खेलने में अधिक उर्जा भी खर्च होती है और खेलते-खलेते खाना खाने का भी ध्यान नहीं रहता।

  • लीची में पाया जाने वाले टोक्सिन, हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन MCPG उन एंजाइमों को ब्लाक कर देते हैं जो की ग्लूकोज के सामान्य चयापचय को कराते हैं।
  • इसलिए जब ग्लूकोस का संश्लेषण बंद हो जाता है रक्त में शर्करा स्तर की तीव्रता से कम होता है। शरीर इस तरह के मेटाबोलिज्म से दिमाग पर बुरा असर होता है।

Hypoglycaemic encephalopathy occurs sporadically in children predisposed by inborn errors of metabolism, triggered mostly by long hours of no food intake.

इस पूरे शोध से सभी को, मुख्य रूप से बच्चों को यह बात समझने और बताने की ज़रूरत है:

  • लीची के कच्चे और पके दोनों ही तरह के फलों में, हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन MCPG पाया जाता है जो की उन एंजाइमों को ब्लाक कर देते हैं जो की ग्लूकोज के सामान्य चयापचय को कराते हैं।
  • कच्चे फलों में, पके फलों से दुगना हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन होता है।
  • इसलिए लीची को कभी भी बहुत अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए।
  • लीची के सेवन के दौरान खाना सही से खाना चाहिए, जिससे रक्त शर्करा का स्तर ठीक रहे।
  • बच्चों को शाम के समय लीची खाने को न दें।
  • बच्चे ने लीची खायी है तो उसे खाली पेट न सोने to avoid night-time hypoglycaemi दें।
  • इसके अतिरिक्त यदि ऐसा लगे की बच्चे को लीची के सेवन से टोक्सिसिटी है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएँ और शरीर में ग्लूकोस की कमी न होने दे।

कृपया इस जानकारी को सभी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें, की कभी भी खाली पेट लीची का सेवन न करें, शाम को लीची बच्चों को खाने को न दें, और लीची के सेवन के बाद लंच या डिनर स्किप न करें।


टडालाफिल Tadalafil in Hindi

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टडालाफिल एक एलोपैथिक दवा है जो की इरेक्टाइल डिसफंक्शन में प्रयोग की जाती है। इसको दिन में एक बार, सेक्सुअल एक्टिविटी के आधे घंटे पहले लेना होता है। यह केवल पुरुषों के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से खड़ा नहीं हो पाता जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता। टडालाफिल को इरेक्टाइल डिसफंक्शन जिसे स्तम्भन दोष या नपुंसकता Erectile dysfunction ED भी कहते हैं, में लेने से सेक्सुअल अरोउसल / उत्तेजना होने के बाद, इन्द्रिय में तनाव सही से आता है। यह दवाई, रोग का इलाज treats करती है उसे ठीक but not cures नहीं करती।

यह बाद ध्यान रखने योग्य है, की किसी भी अन्य दवा की तरह इसको लेने से भी शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव / नुकसान हैं। इसलिए यदि आवश्यक हो तो ही इसका प्रयोग करें तथा यदि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई दवा लेते हैं, तो उस दवा का इसके साथ इंटरेक्शन क्या होता है यह भलिभांति समझ लें।

हमारा उद्देश्य केवल आपको इस दवा के बारे में जितनी संभव हो सके, जानकारी हो देना है। इस जानकारी को आप स्वयं इलाज़ के लिए प्रयोग न करें। याद रखें, हर दवा, सभी को सूट नहीं करती है और सभी का शरीर दवा के प्रति अलग-अलग ढंग से रिअक्ट कर सकता है। किसी में लाभ ज्यादा होता और किसी में दुष्प्रभाव।

  • दवा का प्रकार: एलोपैथिक दवाई
  • रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  • जेनरिक: टडालाफिल
  • दवा की उपलब्धता: Tadalafil 5mg, Tadalafil 10 mg, Tadalafil 20 mg
  • प्रकार: फोस्फोडाईएस्टरेज़ टाइप 5 इनहीबिटर phosphodiesterase type-5 inhibitor
  • असर रहने का समय: 36 घंटे
  • वितरण: टिश्यू, प्लाज्मा प्रोटीन के साथ
  • मेटाबोलिज्म: लीवर में
  • उत्सर्जन: स्टूल के साथ और कुछ कम मात्रा में पेशाब के साथ

टडालाफिल क्या है? What is Tadalafill in Hindi?

टडालाफिल फोस्फोडाईएस्टरेज़ टाइप 5 इनहीबिटर phosphodiesterase type-5 inhibitor है।

फास्फोडिस्ट्रस 5 (PDE 5) एंजाइम के प्रवाह को रोककर टिश्यू को रिलैक्स करता है तथा रक्तसंचार को आसान बना देता है। इस प्रकार यह स्तम्भन में सहयोगी हैं।

टाडालाफिल को कौन ले सकता है?

  1. यह सभी वयस्क पुरुषों (18-85 वर्ष) के द्वारा ली जा सकती है।
  2. यह उत्तेजना / कामेच्छा libido को नहीं बढ़ाती पर इरेक्शन होने में मददगार है।
  3. यह सेक्स पॉवर / इरेक्शन को ज्यादा देर तक रखती है।

टडालाफिल के चिकित्सीय उपयोग क्या हैं Uses of Tadalafill

स्तंभन दोष या नपुंसकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन, संभोग के दौरान शिश्न के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता की स्थिति है। Erectile dysfunction (ED) is the inability to get or keep an erection firm enough to have sexual intercourse। It is also sometimes also referred to as impotence.

टडालाफिल को लेने की मात्रा क्या है?

  1. टडालाफिल को तीस वर्ष से कम आयु के पुरुष 5 mg की मात्रा में दिन में एक बार ले सकते हैं।
  2. 31 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष इसे शुरू में 5mg की मात्रा में और यदि ज़रूरत हो तो 10 mg अथवा 20 mg की मात्रा में ले सकते हैं।
  3. इस दवा को दिन में एक बार, सेक्स से करीब आधा घंटा पहले लिया जाना चाहिए।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Tadalafill

  1. नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।
  2. इसे दिन में एक बार ही लेना है।
  3. एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  4. इसे पानी के साथ निगल लें।
  5. पहले इसे 5 mg  की मात्रा में देते हैं।
  6. यदि इससे असर नहीं हो रहा है, इसकी 10 mg डोज़ या मैक्सिमम डोज़ 20 mg दे सकते हैं।
  7. यदि व्यक्ति को 10 mg टेबलेट से अधिक साइड-इफेक्ट हो रहे हो तो दवा की मात्रा को 5 mg कर दिया जाता है।
  8. इसे सेक्स करने से करीब 20 से 45 मिनट पहले लें।
  9. इसे लेने के बाद इसका असर 36 घंटे तक रहता है।
  10. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

कब प्रयोग न करें / Contraindications

  1. कोई भी नाइट्रेट मेडिकेशन (osorbide salts, sodium nitroprusside, amyl nitrite, nicorandil or organic nitrates), ले रहें हों तो इसका सेवन न करें। यह रक्तचाप को खतरनाक ढंग से कम देगा।
  2. अगर एनजाइना है, छाती में दर्द है, तो भी इसका सेवन नं करें।
  3. दिल की बिमारी है जिस कारण से सेक्स करने की मनाही है।
  4. पिछले 6 महीने में स्ट्रोक हुआ हो।
  5. लीवर की गंभीर बीमारी है।
  6. रक्तचाप नियंत्रित नहीं है।
  7. आखों के रोग nonarteritic anterior ischaemic optic neuropathy (NAION) retinitis pigmentosa में
  8. दवा में प्रयोग किसी भी घटक से एलर्जी है।

किन दवाओं के साथ टडालाफिल का इंटरेक्शन हो सकता है Drug Interactions?

अल्फा ब्लॉकर के साथ इसका सेवन, रक्त चाप को बहुत घटा सकता है Co increased risk of hypotension with α-blockers

इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दूसरी दवाओं के साथ इसका सेवन पेनिस में तनाव को अधिक देर तक किये रखता है increased risk of priapism with other drugs for erectile dysfunction

हृदय गति का बढ़ जाना theophylline

रक्तचाप का खतरनाक ढंग से गिर जाना nitrates and nicorandil

डालाफिल का असर इन दवाओं के साथ कम हो जाता है Decreased Tadalafill serum concentration with CYP 3A4 inducers

  1. बार्बिटुरेट्स Barbiturates
  2. कार्बमाज़ेपिने Carbamazepine
  3. इफाविरेंज़ Efavirenz
  4. नेविरापिन Nevirapine
  5. फेनोबार्बिटल Phenobarbital
  6. फेनीटोइन Phenytoin
  7. रिबाबुटिन Ribabutin
  8. रिफामपिसिन Rifampicin

टडालाफिल का असर इन दवाओं के साथ बढ़ जाता है Increased Tadalafill serum concentration with CYP3A4 inhibitors

  1. अज़ोल एन्टिफन्गल्स Azole antifungals
  2. सिमेटिडिन Cimetidine
  3. मैरोलीड्स Macrolides
  4. प्रोटीज इनहिबिटर्स Protease inhibitors

कुछ संभावित गंभीर रिएक्शन Adverse drug reactions

  1. पीठ में दर्द Back pain
  2. आँखों में लाली Conjunctival hyperemia
  3. चक्कर आना Dizziness
  4. अपच Dyspepsia
  5. त्वचा का लाल हो कर छिलना / पील होना Exfoliative dermatitis
  6. आंख का दर्द Eye pain
  7. पसीना आना Flushing
  8. सरदर्द Headache
  9. मांसपेशियों में दर्द Myalgia
  10. नाक बंद Nasal congestion
  11. हृदय के लक्षण Severe cardiovascular events
  12. सुनाई न देना Sudden decrease or loss of hearing
  13. पलकों की सूजन Swelling of eyelids
  14. कान में आवाज़ आना Tinnitus
  15. देखने में दिक्कत Visual disturbances

भोजन का प्रभाव Food Interaction

ग्रेपफ्रूट के रस के साथ इसका असर बढ़ जाता है grapefruit juice तथा सेंट जोहन्स वोर्ट St John’s wort may के साथ इसका असर कम हो जाता है।

सावधनियाँ Cautions

  1. इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. इसे भोजन के साथ या खाली पेट लिया जा सकता है।

विशेष सावधानियाँ Special Precautions

तुरंत डॉक्टर से मिले यदि:

  1. पेनिस की बनावट में फर्क हो जाए
  2. इसे लेने बंद कर दें अगर देखने में कठिनाई हो, कान में आवाजें आये या कुछ दिखाई न दे।
  3. पेनिस में तनाव चार घंटे से ज्यादा रहे।
  4. लीवर या गुर्दे की समस्या में डॉक्टर से परामर्श करें।

हाइपोग्लाईसिमिया Hypoglycemia in Hindi

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शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम हो जाने को मेडिकल टर्म में हाइपोग्लाईसिमिया कहते हैं। इस स्थिति में रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से नीचे चला जाता है।

ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा देता है और यह भोजन द्वारा हमारे शरीर में पहुंचता है। कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार जैसे की चावल, आलू, ब्रेड, अनाज, दूध, फल, मिठाई आदि सभी कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ हैं। सेवन के बाद ग्लूकोज में खून और शरीर की कोशिकाओं में जाता है । हॉर्मोन इंसुलिन जो की अग्न्याशय Pancreas द्वारा बनाया जाता है वह इसे ऊर्जा कोशिकाओं के लिए ऊर्जा में बदलता है। यदि ग्लूकोज की मात्रा खपत से अधिक है तो यह ग्लूकोज शरीर के लीवर और मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में जमा हो जाता है। ग्लाइकोजन का उपयोग शरीर ज़रूरत के अनुसार करता है। इसके अतिरिक्त यह शरीर में चर्बी की तरह फैट सेल्स में स्टोर हो जाता है। फैट भी एक तरह का एनर्जी स्टोर है। जब खून में ग्लूकोज़ का स्तर गिरने लगता है तो पैंक्रियास से एक अन्य हॉर्मोन ग्लूकाजन निकलता है जो की ग्लाइकोजन को तोड़ एनर्जी रिलीज़ कराता है।

कुछ मधुमेह पीड़ित लोगों जो की इन्सुलिन की दवाएं लेते हैं, में ग्लूकोज़ का गिरा हुआ स्तर आसानी से सामान्य नहीं हो पाता। ऐसे में कम रक्त शर्करा स्तर या हाइपोग्लाइसीमिया अचानक हो जाता है। शुरू में इसे ग्लूकोज़ युक्त पानी पी कर दूर किया जा सकता है। लेकिन समय पर ऐसा न किये जाने पर भ्रम, बेहोशी,  रेस्पोंस धीमा हो जाना और कई मामलों में जान तक जा सकती है।

ऐसा नहीं है की हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा केवल डायबिटीज में होता है। कोई भी व्यक्ति जो कार्बोहायड्रेट का सेवन नहीं करता, व्रत-फ़ास्ट बहुत अधिक रखता है, दिन में ठीक से भोजन नहीं करता, बहुत शारीरिक श्रम करता है तो उसे भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। बच्चे जो दिन भर खाली पेट रहते हों, उन्हें भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।

HYPOGLYCEMIA is a medical condition in which BLOOD SUGAR level reaches an abnormally low level, usually 70mg/dL or below.

Hypoglycemia can be due to meals or snacks that are too small, delayed or skipped, increased physical activity, drinking alcoholic beverages and/or certain medications.

  • Causes: Too little food or skipping a meal; too much insulin or diabetes pills; more active than usual.
  • Danger: IF LOW BLOOD GLUCOSE IS LEFT UNTREATED, YOU MAY PASS OUT AND NEED MEDICAL HELP.

सामान्य ब्लड ग्लूकोज लेवल Normal Blood Glucose Levels

  • फास्टिंग में fasting 70 to 99 mg/dL
  • खाने के बाद After meals 70 to 140 mg/dL
  • हाइपोग्लाईसिमिया में < 70 mg/dL

Blood sugar level of less than 70 mg/dL is considered too low and needs to be treated. It is also called hypoglycemia.

हाइपोग्लाईसिमिया के लक्षण क्या हैं? Symptoms of Hypoglycemia

कम रक्त शर्करा सीधे दिमाग को प्रभावित करता है क्योंकि उर्जा के लिए हमारा दिमाग ग्लूकोज़ पर निर्भर करता है। हाइपोग्लाईसिमिया होने पर मस्तिष्क के सामान्य कार्य भी ठीक से नहीं हो पाते। व्यक्ति भ्रमित हो जाता है। ठीक से सोच नहीं पाता, सिरदर्द-चक्कर आना, दौरे, बेहोशी आदि लक्षण उत्पन्न होते है।

Mild-to-Moderate hypoglycemia Symptoms

  1. भूख hunger
  2. अस्थिरता shakiness
  3. घबराहट nervousness
  4. पसीना आना sweating
  5. चक्कर आना headedness, dizziness, light-
  6. उलझन confusion
  7. बोलने में कठिनाई difficulty in speaking
  8. चिंता anxiety
  9. कमजोरी weakness
  10. धुंधला दिखना Blurred vision
  11. नींद आना,थका लगना Sleepy or tired
  12. कोर्डिनेशन में कमी Uncoordinated
  13. चिड़चिड़ा या नर्वस होना Irritable or nervous
  14. बहुत तर्क देना Argumentative or combative
  15. एकग्रता की कमी Trouble concentrating
  16. कमजोर होना Weak
  17. तेज या अनियमित दिल की धड़कन Fast or irregular heart beat
  18. हमेशा थका लगना chronic fatigue

गंभीर हाइपोग्लाईसिमिया के लक्षण Severe Hypoglycemia Symptoms

  1. खाने या पीने में असमर्थ Unable to eat or drink
  2. आक्षेप, दौरे पड़ना Seizures or convulsions (jerky movements)
  3. बेहोशी Unconsciousness

नींद में हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण Some symptoms of hypoglycemia during sleep

  1. बुरे सपने आना
  2. नींद में रोना
  3. पसीने से कपड़े भीग जाना
  4. जगने के बाद थकान, चिड़चिड़ापन, उलझन

किन लोगों में हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा है? Risk Factors

  1. जो डायबिटीज के लिए दवाओं का सेवन करते है।
  2. जो बहुत कम कार्बोहायड्रेट का सेवन करते है।
  3. जो बहुत ज्यादा इन्सुलिन लेते है।
  4. जो बहुत ज्यादा एक्टिव होते है, भाग-दौड़ करते हैं या अधिक व्यायाम करते हैं।
  5. जो खाना ठीक से नहीं खाते।

सामन्य लोगों में हाइपोग्लाइसीमिया का क्या कारण है?

  1. रात का भोजन ठीक से न करना
  2. नाश्ता न करना
  3. कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करना
  4. बहुत देर से खाना खाना
  5. बहुत अधिक उपवास रखना
  6. बहुत व्यायाम करना और उसी अनुपान में खाना न करना
  7. अल्कोहल का सेवन करना
  8. कुछ दवाओं का सेवन करना

कौन सी दवाएं है जो हाइपोग्लाइसीमिया करा सकती हैं?

  1. सल्फा मेडिसिन sulfa medication
  2. निमोनिया की दवाएं pentamidine
  3. मलेरिया की दवा quinine

मधुमेह में हाइपोग्लाइसीमिया का क्या कारण हो सकता है?

डायबिटीज में दवाओं का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य से नीचे गिरा सकता है। इन्सुलिन वाली दवाओं का सेवन या इंजेक्शन, शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ा शुगर लेवल को कम कर देते हैं।

  1. Chlorpropamide
  2. Glimepiride
  3. Glipizide
  4. Glyburide
  5. Nateglinide
  6. Repaglinide
  7. Sitagliptin
  8. Tolazamide
  9. Tolbutamide

संयोजन

  1. Glipizide + Metformin
  2. Glyburide + Metformin
  3. Pioglitazone + Glimepiride
  4. Rosiglitazone +   Glimepiride
  5. Sitagliptin + Metformin

हाइपोग्लाइसीमिया को कैसे रोक सकते हैं? How to prevent Hypoglycemia?

  1. हाइपोग्लाइसीमिया न हो इसलिए उन कारणों को पहचान कर रोकना चाहिए जिससे यह हो सकता है।
  2. मधुमेह में यदि इन्सुलिन ले रहे है और भोजन नहीं कर रहे तो हाइपोग्लाइसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
  3. बच्चों को भोजन समय पर करवाएं।
  4. खाना समय पर करें।
  5. खाना स्किप न करें।
  6. व्यायाम के अनुपात में ही भोजन करें।

हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज़ क्या है? Treatment of Hypoglycemia

  1. हाइपोग्लाइसीमिया हो जाए तो below 70 mg/dL, तुरंत ग्लूकोज़ के तीन-चार टेबलेट लें।
  2. 1/2-1 कप, कोई भी फ्रूट जूस पियें।
  3. एक कप दूध पी लें।
  4. 8-10 टॉफी खा लें।
  5. 20 ग्राम किशमिश खा लें।
  6. एक चम्मच चीनी खा लें।
  7. चीज़, क्रैकर या सैंडविच खा लें।

यदि मधुमेह में हाइपोग्लाइसीमिया है तो ग्लूकोज़ के सेवन के 15 मिनट बाद फिर से रक्त शर्करा के स्तर को चेक करें। यदि यह अभी भी कम है तो फिर कुछ खा लें।

सिपला इरेक्टेलिस 20 mg  Cipla Erectalis Detail and Uses in Hindi

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सिपला इरेक्टेलिस 20mg एक ऐलोपथिक दवाई जो केवल पुरुषों के लिए है और बेटर इरेक्शन पाने में मदद करती है।

सिपला इरेक्टेलिस 20mg को इरेक्टाइल डिसफंक्शन / स्तम्भन दोष या नपुंसकता में लिया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से तनाव नहीं आता  जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता। टडालाफिल को इरेक्टाइल डिसफंक्शन जिसे स्तम्भन दोष या नपुंसकता Erectile dysfunction ED भी कहते हैं, में लेने से सेक्सुअल अरोउसल / उत्तेजना होने के बाद, इन्द्रिय में तनाव सही से आता है। यह दवाई, रोग का इलाज treats करती है उसे ठीक but not cures नहीं करती।

यह बाद ध्यान रखने योग्य है, की किसी भी अन्य दवा की तरह इसको लेने से भी शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव / नुकसान हैं। इसलिए यदि आवश्यक हो तो ही इसका प्रयोग करें तथा यदि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई दवा लेते हैं, तो उस दवा का इसके साथ इंटरेक्शन क्या होता है यह भलिभांति समझ लें।

हमारा उद्देश्य केवल आपको इस दवा के बारे में जितनी संभव हो सके, जानकारी हो देना है। इस जानकारी को आप स्वयं इलाज़ के लिए प्रयोग न करें। याद रखें, हर दवा, सभी को सूट नहीं करती है और सभी का शरीर दवा के प्रति अलग-अलग ढंग से रिअक्ट कर सकता है। किसी में लाभ ज्यादा होता और किसी में दुष्प्रभाव।

Cipla Erectalis is available in strength of 20 mg. This Allopathic medicine is for achieving erection and used in treatment of erectile dysfunction or ED, condition in which man cannot get, or keep, a hard erect penis suitable for sexual activity. It works by increasing blood flow to the penis and relaxing the muscles. It should be taken an hour before the sexual intercourse. There are few conditions in which it should not be taken and like any other medicine it produces certain side-effect including headache, nausea, lowering of blood pressure etc.

While taking this medicine the blood pressure should be monitored carefully. In case of serious side-effects, intake of medicine should be stopped and doctor should be consulted.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  • ब्रांड का नाम: Cipla
  • जेनरिक: टडालाफिल

सिपला इरेक्टेलिस 20mg के घटक Ingredients of Cipla Erectalis

टडालाफिल Tadalafill 20mg

टडालाफिल फोस्फोडाईएस्टरेज़ टाइप 5 इनहीबिटर phosphodiesterase type-5 inhibitor है। फास्फोडिस्ट्रस 5 (PDE 5) एंजाइम के प्रवाह को रोककर टिश्यू को रिलैक्स करता है तथा रक्तसंचार को आसान बना देता है। इस प्रकार यह स्तम्भन में सहयोगी हैं।

सिपला इरेक्टेलिस 20mg के चिकित्सीय उपयोग Uses of Cipla Erectalis

  1. यह वयस्क पुरुषों (18-85 वर्ष) के द्वारा ली जा सकती है।
  2. यह उत्तेजना / कामेच्छा libido को नहीं बढ़ाती पर इरेक्शन होने में मददगार है।
  3. यह सेक्स पॉवर / इरेक्शन को ज्यादा देर तक रखती है।
  4. इसे स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन ( संभोग के दौरान शिश्न / लिंग / जनेन्द्रिय के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता) में लिया जाता है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Cipla Erectalis

ध्यान दें, इस दवा में टडालाफिल की मात्रा 20mg है।

टडालाफिल की स्ट्रेंथ

  1. टडालाफिल को शुरुआत में 5 mg की स्ट्रेंथ में देते हैं।
  2. यदि इससे असर नहीं हो रहा है, इसकी 10 mg डोज़ या मैक्सिमम डोज़ 20 mg दे सकते हैं।
  3. यदि व्यक्ति को 20 mg टेबलेट से या 10 mg टेबलेट से अधिक साइड-इफेक्ट हो रहे हो तो दवा की मात्रा को 5 mg कर दिया जाता है।

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।

  • इस दवा को दिन में एक बार, सेक्स से करीब आधा घंटा पहले लिया जाना चाहिए।
  • इसे दिन में एक बार ही लेना है।
  • एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  • इसे पानी के साथ निगल लें।
  • इसे लेने के बाद इसका असर 36 घंटे तक रहता है।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

कब प्रयोग न करें / Contraindications

  1. कोई भी नाइट्रेट मेडिकेशन (osorbide salts, sodium nitroprusside, amyl nitrite, nicorandil or organic nitrates), ले रहें हों तो इसका सेवन न करें। यह रक्तचाप को खतरनाक ढंग से कम देगा।
  2. अगर एनजाइना है, छाती में दर्द है, तो भी इसका सेवन नं करें।
  3. दिल की बिमारी है जिस कारण से सेक्स करने की मनाही है।
  4. पिछले 6 महीने में स्ट्रोक हुआ हो।
  5. लीवर की गंभीर बीमारी है।
  6. रक्तचाप नियंत्रित नहीं है।
  7. आखों के रोग nonarteritic anterior ischaemic optic neuropathy (NAION) retinitis pigmentosa में
  8. दवा में प्रयोग किसी भी घटक से एलर्जी है।

किन दवाओं के साथ टडालाफिल का इंटरेक्शन हो सकता है Drug Interactions?

  1. अल्फा ब्लॉकर के साथ इसका सेवन, रक्त चाप को बहुत घटा सकता है Co increased risk of hypotension with α-blockers
  2. इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दूसरी दवाओं के साथ इसका सेवन पेनिस में तनाव को अधिक देर तक किये रखता है increased risk of priapism with other drugs for erectile dysfunction
  3. हृदय गति का बढ़ जाना theophylline
  4. रक्तचाप का खतरनाक ढंग से गिर जाना nitrates and nicorandil

डालाफिल का असर इन दवाओं के साथ कम हो जाता है Decreased Tadalafill serum concentration with CYP 3A4 inducers

  1. बार्बिटुरेट्स Barbiturates
  2. कार्बमाज़ेपिने Carbamazepine
  3. इफाविरेंज़ Efavirenz
  4. नेविरापिन Nevirapine
  5. फेनोबार्बिटल Phenobarbital
  6. फेनीटोइन Phenytoin
  7. रिबाबुटिन Ribabutin
  8. रिफामपिसिन Rifampicin

टडालाफिल का असर इन दवाओं के साथ बढ़ जाता है Increased Tadalafill serum concentration with CYP3A4 inhibitors

  1. अज़ोल एन्टिफन्गल्स Azole antifungals
  2. सिमेटिडिन Cimetidine
  3. मैरोलीड्स Macrolides
  4. प्रोटीज इनहिबिटर्स Protease inhibitors

कुछ संभावित गंभीर रिएक्शन Adverse drug reactions

  1. पीठ में दर्द Back pain
  2. आँखों में लाली Conjunctival hyperemia
  3. चक्कर आना Dizziness
  4. अपच Dyspepsia
  5. त्वचा का लाल हो कर छिलना / पील होना Exfoliative dermatitis
  6. आंख का दर्द Eye pain
  7. पसीना आना Flushing
  8. सरदर्द Headache
  9. मांसपेशियों में दर्द Myalgia
  10. नाक बंद Nasal congestion
  11. हृदय के लक्षण Severe cardiovascular events
  12. सुनाई न देना Sudden decrease or loss of hearing
  13. पलकों की सूजन Swelling of eyelids
  14. कान में आवाज़ आना Tinnitus
  15. देखने में दिक्कत Visual disturbances

भोजन का प्रभाव Food Interaction

ग्रेपफ्रूट के रस के साथ इसका असर बढ़ जाता है grapefruit juice तथा सेंट जोहन्स वोर्ट St John’s wort may के साथ इसका असर कम हो जाता है।

सावधनियाँ Cautions

  1. इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. इसे भोजन के साथ या खाली पेट लिया जा सकता है।

विशेष सावधानियाँ Special Precautions

तुरंत डॉक्टर से मिले यदि:

  1. पेनिस की बनावट में फर्क हो जाए
  2. इसे लेने बंद कर दें अगर देखने में कठिनाई हो, कान में आवाजें आये या कुछ दिखाई न दे।
  3. पेनिस में तनाव चार घंटे से ज्यादा रहे।
  4. लीवर या गुर्दे की समस्या में डॉक्टर से परामर्श करें।

मैनकाइंड मैनफ़ोर्स मोर Mankind Manforce More (10 mg) Detail and Uses in Hindi

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मैनकाइंड मैनफ़ोर्स मोर एक ऐलोपथिक दवाई जो की प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है। यह दवा केवल पुरुषों के लिए है और बेटर इरेक्शन पाने में मदद करती है।

मैनकाइंड मैनफ़ोर्स मोर को इरेक्टाइल डिसफंक्शन / स्तम्भन दोष या नपुंसकता में लिया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से खड़ा नहीं हो पाता जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता। टडालाफिल को इरेक्टाइल डिसफंक्शन जिसे स्तम्भन दोष या नपुंसकता Erectile dysfunction ED भी कहते हैं, में लेने से सेक्सुअल अरोउसल / उत्तेजना होने के बाद, इन्द्रिय में तनाव सही से आता है। यह दवाई, रोग का इलाज treats करती है उसे ठीक but not cures नहीं करती।

यह बाद ध्यान रखने योग्य है, की किसी भी अन्य दवा की तरह इसको लेने से भी शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव / नुकसान हैं। इसलिए यदि आवश्यक हो तो ही इसका प्रयोग करें तथा यदि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई दवा लेते हैं, तो उस दवा का इसके साथ इंटरेक्शन क्या होता है यह भलिभांति समझ लें।

हमारा उद्देश्य केवल आपको इस दवा के बारे में जितनी संभव हो सके, जानकारी हो देना है। इस जानकारी को आप स्वयं इलाज़ के लिए प्रयोग न करें। याद रखें, हर दवा, सभी को सूट नहीं करती है और सभी का शरीर दवा के प्रति अलग-अलग ढंग से रिअक्ट कर सकता है। किसी में लाभ ज्यादा होता और किसी में दुष्प्रभाव।

Mankind Manforce More is available in strength of 10 mg. This Allopathic medicine is for achieving erection and used in treatment of erectile dysfunction or ED, condition in which man cannot get, or keep, a hard erect penis suitable for sexual activity. It works by increasing blood flow to the penis and relaxing the muscles. It should be taken an hour before the sexual intercourse. There are few conditions in which it should not be taken and like any other medicine it produces certain side-effect including headache, nausea, lowering of blood pressure etc.

While taking this medicine the blood pressure should be monitored carefully. In case of serious side-effects, intake of medicine should be stopped and doctor should be consulted.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  2. ब्रांड का नाम: मैनकाइंड
  3. जेनरिक: टडालाफिल

मैनकाइंड मैनफ़ोर्स मोर के घटक Ingredients of Mankind Manforce More

टडालाफिल Tadalafill

टडालाफिल फोस्फोडाईएस्टरेज़ टाइप 5 इनहीबिटर phosphodiesterase type-5 inhibitor है। फास्फोडिस्ट्रस 5 (PDE 5) एंजाइम के प्रवाह को रोककर टिश्यू को रिलैक्स करता है तथा रक्तसंचार को आसान बना देता है। इस प्रकार यह स्तम्भन में सहयोगी हैं।

मैनकाइंड मैनफ़ोर्स मोर के चिकित्सीय उपयोग Uses of Mankind Manforce More

  1. यह वयस्क पुरुषों (18-85 वर्ष) के द्वारा ली जा सकती है।
  2. यह उत्तेजना / कामेच्छा libido को नहीं बढ़ाती पर इरेक्शन होने में मददगार है।
  3. यह सेक्स पॉवर / इरेक्शन को ज्यादा देर तक रखती है।
  4. इसे स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन ( संभोग के दौरान शिश्न / लिंग / जनेन्द्रिय के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता) में लिया जाता है.

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Mankind Manforce More

  1. इस दवा को दिन में एक बार, सेक्स से करीब आधा घंटा पहले लिया जाना चाहिए।
  2. नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।
  3. इसे दिन में एक बार ही लेना है।
  4. एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  5. इसे पानी के साथ निगल लें।
  6. इसे लेने के बाद इसका असर 36 घंटे तक रहता है।
  7. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

कब प्रयोग न करें / Contraindications

  1. कोई भी नाइट्रेट मेडिकेशन (osorbide salts, sodium nitroprusside, amyl nitrite, nicorandil or organic nitrates), ले रहें हों तो इसका सेवन न करें। यह रक्तचाप को खतरनाक ढंग से कम देगा।
  2. अगर एनजाइना है, छाती में दर्द है, तो भी इसका सेवन नं करें।
  3. दिल की बिमारी है जिस कारण से सेक्स करने की मनाही है।
  4. पिछले 6 महीने में स्ट्रोक हुआ हो।
  5. लीवर की गंभीर बीमारी है।
  6. रक्तचाप नियंत्रित नहीं है।
  7. आखों के रोग nonarteritic anterior ischaemic optic neuropathy (NAION) retinitis pigmentosa में
  8. दवा में प्रयोग किसी भी घटक से एलर्जी है।

किन दवाओं के साथ टडालाफिल का इंटरेक्शन हो सकता है Drug Interactions?

  1. अल्फा ब्लॉकर के साथ इसका सेवन, रक्त चाप को बहुत घटा सकता है Co increased risk of hypotension with α-blockers
  2. इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दूसरी दवाओं के साथ इसका सेवन पेनिस में तनाव को अधिक देर तक किये रखता है increased risk of priapism with other drugs for erectile dysfunction
  3. हृदय गति का बढ़ जाना theophylline
  4. रक्तचाप का खतरनाक ढंग से गिर जाना nitrates and nicorandil

डालाफिल का असर इन दवाओं के साथ कम हो जाता है Decreased Tadalafill serum concentration with CYP 3A4 inducers

  1. बार्बिटुरेट्स Barbiturates
  2. कार्बमाज़ेपिने Carbamazepine
  3. इफाविरेंज़ Efavirenz
  4. नेविरापिन Nevirapine
  5. फेनोबार्बिटल Phenobarbital
  6. फेनीटोइन Phenytoin
  7. रिबाबुटिन Ribabutin
  8. रिफामपिसिन Rifampicin

टडालाफिल का असर इन दवाओं के साथ बढ़ जाता है Increased Tadalafill serum concentration with CYP3A4 inhibitors

  1. अज़ोल एन्टिफन्गल्स Azole antifungals
  2. सिमेटिडिन Cimetidine
  3. मैरोलीड्स Macrolides
  4. प्रोटीज इनहिबिटर्स Protease inhibitors

कुछ संभावित गंभीर रिएक्शन Adverse drug reactions

  1. पीठ में दर्द Back pain
  2. आँखों में लाली Conjunctival hyperemia
  3. चक्कर आना Dizziness
  4. अपच Dyspepsia
  5. त्वचा का लाल हो कर छिलना / पील होना Exfoliative dermatitis
  6. आंख का दर्द Eye pain
  7. पसीना आना Flushing
  8. सरदर्द Headache
  9. मांसपेशियों में दर्द Myalgia
  10. नाक बंद Nasal congestion
  11. हृदय के लक्षण Severe cardiovascular events
  12. सुनाई न देना Sudden decrease or loss of hearing
  13. पलकों की सूजन Swelling of eyelids
  14. कान में आवाज़ आना Tinnitus
  15. देखने में दिक्कत Visual disturbances

भोजन का प्रभाव Food Interaction

ग्रेपफ्रूट के रस के साथ इसका असर बढ़ जाता है grapefruit juice तथा सेंट जोहन्स वोर्ट St John’s wort may के साथ इसका असर कम हो जाता है।

सावधनियाँ Cautions

  1. इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. इसे भोजन के साथ या खाली पेट लिया जा सकता है।

विशेष सावधानियाँ Special Precautions

तुरंत डॉक्टर से मिले यदि:

  1. पेनिस की बनावट में फर्क हो जाए
  2. इसे लेने बंद कर दें अगर देखने में कठिनाई हो, कान में आवाजें आये या कुछ दिखाई न दे।
  3. पेनिस में तनाव चार घंटे से ज्यादा रहे।
  4. लीवर या गुर्दे की समस्या में डॉक्टर से परामर्श करें।

मुल्तानी मिट्टी Uses of Multani Mitti in Hindi

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मुल्तानी मिट्टी को गेरू मिट्टी, येलो क्ले, गुले अरमानी, फुलर्स अर्थ आदि नामों से जाना जाता है। भारत में यह मुख्य रूप से पश्चिमी राज्यों में पायी जाती है। मुल्तान में भी इसका भी इसका बहुत प्रयोग होता आया है।

यह गेहूं जैसे रंग की होती है और इसमें एलुमिना, आयरन ऑक्साइड और मग्नेसिया पाए जाते हैं। इसे आयुर्वेद में ठंडक देने वाली, संकोचक / ऐसट्रिनजेंट, अवशोषक और रोगाणुरोधक  माना गया है।

multani mitti ke upyog
By Khalid Mahmood (Own work) [CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0) or GFDL (http://www.gnu.org/copyleft/fdl.html)], via Wikimedia Commons
मुल्तानी मिट्टी को त्वचा और बालों की देखभाल के लिए पुराने समय से प्रयोग किया जाता रहा है। आज भी मुल्तानी मिट्टी को महिलायें बालों को धोने और चेहरे पर लगाने के लिए अक्सर प्रयोग करती हैं।

पर्याय: Fuller’s earth, Floridin, Multani mitti

This page is about the use of Multani Mitti or Fuller’s Earth for skin and hair care in Hindi language.

मुल्तानी मिट्टी को इंग्लिश में फुलेर्स अर्थ कहते हैं। इसमें एक बहुत ही अच्छा गुण हैं की यह तेल, ग्रीसी पदार्थों को सोख लेती है। इसको लगाने से बिना किसी केमिकल का प्रयोग किये चिकनाई दूर की जा सकती है। इसलिए पुराने समय में, यूरोप में फुलर (टेक्सटाइल उद्योग में काम करने वाले कारीगर को फुलर कहते हैं) इसको ऊन को धोने के लिए प्रयोग करते थे जिससे उनमें से तेल, ग्रीस दूर हो जाए। इसे ब्लीचिंग क्ले भी कहते हैं क्योंकि इससे धोने के बाद कपड़े सफ़ेद से लगते हैं। तो इस प्रकार मुल्तानी मिट्टी को फुलर्स अर्थ का नाम मिला।

मुल्तानी मिट्टी को तेल और दूसरे तरल को रंगहीन करने के लिए भी प्रयोग किया है।

मुल्तानी मिट्टी के प्रमुख गुण

  • प्रचूषक absorbent
  • सड़न रोकनेवाली antiseptic
  • सिकोड़नेवाली astringent
  • शीतल refrigerant

मुल्तानी मिट्टी के कॉस्मेटिक प्रयोग Cosmetic Uses of Fuller’s Earth

मुल्तानी मिट्टी को बालों और त्वचा की देखभाल के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से ब्लीचिंग, एक्स्ट्रा तेल को सोखने और दाग-धब्बे हटाने के लिए प्रयोग की जाती है।  इसका प्रयोग बालों पर करने से यह बालों की गंदगी और ग्रिज़ीनेस को दूर करती है और स्कैल्प को ठंडक देती है। मुल्तानी मिट्टी ऑयली त्वचा से तेल हटाने के लिए बहुत ही लाभप्रद है। इसे यदि शहद और दही के साथ मिला कर प्रयोग करें तो यह ड्राई स्किन पर भी लगाईं जा सकती है। नीचे मुल्तानी मिट्टी को एक घरेलू उपचार की रह त्वचा और बाल पर प्रयोग करने की विधि दी गई है।

1- रंगत निखारने के लिए Improving complexion

  • मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर लगायें। अथवा
  • मुलतानी मिट्टी चार चम्मच + शहद दो चम्मच + दही दो चम्मच + निम्बू का रस, मिलाकर त्वचा पर दस – बीस मिनट लगायें और फिर नल के पानी से धो लें।

2- मुहांसे, पिम्पल्स, तैलीय त्वचा के कारण मुहांसे निकालना Oily skin, Pimples, acne

  • मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर लगायें। अथवा
  • नीम के कुछ पत्ते को पीस कर मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगायें। अथवा
  • मुल्तानी मिट्टी में टमाटर और पुदीने का रस अथवा तुलसी का रस मिलाकर लगाएं। अथवा
  • नीम, तुलसी, मेथी के पत्ते का रस लें और इससे दुगनी मात्रा में मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर पानी से धो लें।

3- मुहांसे के दाग धब्बे Blemishes due to pimples

  • मुल्तानी मिट्टी में टमाटर और पुदीने का रस मिलाकर लगाएं। अथवा
  • मुल्तानी मिट्टी में बेसन की बराबर मात्रा मिलाएं और दूध की आवश्यक मात्रा मिलाकर पेस्ट बनाएं, इसे चेहरे पर लगा लें। सूखने पर पानी से धो लें।

4- सनबर्न Sunburn

मुल्तानी मिट्टी आधा चम्मच + चन्दन पाउडर आधा चम्मच + हल्दी चुटकी भर + कच्चे नारियल के पानी या पपीते के गुद्दे में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगायें और सूखने पर धो लें। अथवा

मुल्तानी मिट्टी में नारियल पानी और चीनी मिलाकर लगायें।

5- चेहरे पर दाग-धब्बे, पिगमेंटेशन Hyperpigmentation

मुल्तानी मिट्टी में आलू का रस, नींबू का रस, और शहद मिलाकर चेहरे पर लगायें। सूखने पर धो लें।

6- त्वचा पर चमक लाने के लिए, धूप में रहने से त्वचा में जलन Glowing skin

मुल्तानी मिट्टी को चन्दन पाउडर में मिलाकर लगाएं।

7- बालों के लिए मुल्तानी मिट्टी पैक Hair pack of Multani Mitti

  • मुलतानी मिट्टी २ चम्मच + २ चम्मच बेसन को सिरके में मिलाएं। इसे बालों में 20 मिनट तक लगायें और पानी से धो लें।
  • यदि बाल बहुत अधिक रूखे तो पहले तेल अवश्य लगायें।

8- बालों में रूसी Dandruff

मुल्तानी मिट्टी को छाछ में भिगो कर रख लें और इससे सिर को धो लें।

9- बालों में जुएँ Hair lice

मुल्तानी मिट्टी, प्याज का रस को छाछ में मिलाकर पेस्ट बना लें और बालों में 1 घंटे लगायें। पानी से धो लें।

10- ड्राई बाल / रूखे बाल Hair Dryness

मुल्तानी मिट्टी को पानी में भिगो दें। जब यह नर्म हो जाए तो इसमें नारियल का तेल मिला लें। इस पेस्ट को बालों में लगायें और सूखने दें। फिर इसे पानी से धो लें।

11- तैलीय बाल Oily hair

मुल्तानी मिट्टी को गर्म पानी में भिगो कर पेस्ट बना लें। इसमें एक बड़े नींबू का रस डालें। इसे स्कैल्प पर  कुछ मिनट लगाकर रखें और फिर पानी से धो लें।

कुछ उपयोगी बातें / प्रयोग में सावधानियां cations/Helpful Tips

  1. मुल्तानी मिट्टी तैलीय स्किन के लिए बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह एक्स्ट्रा आयल को सोख लेती है। इसलिए यदि त्वचा ऑयली है तो इसे चहरे पर लगाएं जिससे पिमपल्स का निकलना रुक जाए।
  2. यदि त्वचा ड्राई है तो इसके प्रयोग में कुछ सावधानियां रखें।
  3. रूखी /  ड्राई त्वचा पर  मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग त्वचा को और रूखा कर देगा। इसलिए सूखी त्वचा के लिए इसमें शहद और दही मिला कर लगाया जा सकता है। शहद और दही दोनों ही अच्छे मॉइस्चराइजर हैं और त्वचा को नमी देते हैं।
  4. मुल्तानी मिट्टी को लगाने के बाद 15-20 मिनट तक छोड़ दें। जब यह सूख जाए तो पहले गर्म पानी से और फिर ठन्डे पानी से त्वचा को ताज़े पानी से धो लें।
  5. धोने के कुछ घंटे बाद तक साबुन का प्रयोग न करें।
  6. मुल्तानी मिट्टी को प्रयोग से पहले कुछ देर पानी में भिगो दें।

दाद Ringworm in Hindi

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दाद, जिसे इंग्लिश में रिंगवर्म (ringworm) कहते हैं, एक आम त्वचा संक्रमण है जो कि एक कवक fungus के कारण होता है। यह एक फंगल या कवक से होने वाला रोग है न की किसी वर्म या कीड़े के कारण। इंग्लिश में इसे रिंगवर्म कहते हैं क्योंकि इससे प्रभावित त्वचा पर एक रिंग / अंगूठी का आकार बन जाता है जिसमें लाली होती है।

रिंगवर्म को देख कर और उसके लक्षण के आधार पर पहचाना जाता है। इसके होने पर त्वचा लाल हो जाती है और उसमें खुजली होती है।

दाद किसी को भी हो सकता है। फंगस, जो दाद होने का कारण है वो कपड़े, तौलिए, और बिस्तर, घरेलू वस्तुओं पर जीवित रह सकता है इसलिए जो भी इन्फेक्टेड आइटम का प्रयोग करेगा उसे भी यह इन्फेक्शन हो जाएगा।

दाद कहाँ हो सकती है?

दाद या रिंगवर्म को कई नामों से जाना जाता है। इसे मेडिकल भाषा में “टिनिया” tinea या “डरमेटोफाईटोसिस” dermatophytosis कहते हैं। प्रभावित अंग के नाम पर इसे भिन्न नामों से बुलाते हैं, जैसे की पैर पर होनी वाली फंगस को एथलीट फुट कहा जाता है। दाद त्वचा पर और नाखून पर हो सकती है।

  1. शरीर के हिस्से जहाँ पर फंगस पायी जा सकती है, वे हैं:
  2. पैर (टिनिया पेडिस या एथलीट फुट) (tinea pedis / athlete’s foot
  3. कमर, भीतरी जांघें, या नितंबों (टिनिया क्रूरिस, या जॉक इच) tinea cruris/ jock itch
  4. स्कैल्प (टिनिया कैपिटिस) tinea capitis
  5. दाढ़ी (टिनिया बारबेई) tinea barbae
  6. हाथ (टिनिया मैनुयम) tinea manuum
  7. हाथ-पैर (टिनिया कोर्पोरिस)tinea corporis
  8. Toenails या नाखूनों (टिनिया अंगियम या ओनिकोमायकोसिस ) tinea unguium / onychomycosis

दाद के लक्षण क्या है?  Symptoms of Ringworm Infections

दाद शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है जैसे नाखूनों-पैर की उँगलियों में, हाथ-पैर आदि। यह किस हिस्से पर है, उसी के अनुसार लक्षण दिखाता है, लेकिन सभी में कुछ लक्षण एक जैसे होते हैं:

  1. त्वचा का लाल होना
  2. रिंग के आकार में दाने होना
  3. त्वचा का उखड़ना, छिलना
  4. बालों का हट जाना
  5. एथलीट फुट के लक्षण: पैरों की उँगलियों के बीच की त्वचा पर लाली, सूजन, छिलना, और खुजली होना।
  6. खोपड़ी (टिनिया कैपिटिस) के लक्षण: बालों का गोल हिस्से में झड़ जाना, इन्फेक्शन फैलने पर और ऐसे ही रिंग वाले हिस्से बनना।
  7. दाढ़ी (टिनिया बारबेई) के लक्षण: गाल-ठुड्डी, गर्दन पर लाल-खुजली युक्त, चक्खते निकलना।
  8. कमर, भीतरी जांघें, या नितंबों (टिनिया क्रूरिस, या जॉक इच) के लक्षण: यह अन्दर की तरफ जहाँ त्वचा नमी युक्त होती है, स्किन फोल्ड में होती है और इसमें भी लाली-रैशेज़ होते हैं।

दाद किसे हो सकता है Ringworm Risk?

रिंगवर्म संक्रमण किसी को भी हो सकता है लेकिन जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमें यह होने के रिस्क बढ़ जाते हैं। जो लोगो बहुत से लोगों के साथ रहते हैं, उनके तौलिया, को शेयर करते हैं उनमें भी यह होने की संभावना ज्यादा होती है।

बहुत चुस्त कपड़े, जूते पहनने से और अधिक पसीना आने पर भी इसकी सम्भावना ज्यादा हो जाती है।

पालतू पशुओं के साथ खेलने के बाद साबुन से हाथ धोएं।

रिंगवर्म को कैसे रोकें Ringworm Prevention?

दाद न हो इसको रोकने के लिए निम्न को किया जाना चाहिए:

  1. त्वचा को सूखा और साफ़ रखें
  2. लाकर रूम और पब्लिक शावर में नंगे पैर न घूमें।
  3. नाखूनों को काट कर रखें।
  4. तौलिया, चद्दरें, पर्सनल सामन किसी के साथ न शेयर करें।

रिंगवर्म का इलाज़ क्या है? Treatment for Ringworm

दाद का इलाज़ प्रभावित स्थान और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ प्रकार के दाद को ओवर-द-काउंटर OTCमिलने वाले दवाओं को लगाकर दूर किया जा सकता है लेकिन कुछ में डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है।

एथलीट फुट, जॉक इच, कमर, गर्दन, हाथ पर दाद

  • इन मामलों में बाहरी रूप से एंटीफंगल क्रीम, लोशन, पाउडर को 2 से 4 सप्ताह के लिए त्वचा के लिए लगाकर फंगस का इलाज किया जा सकता है।
  • ओवर-द-काउंटर मिलने वाली क्रीमों जिनमे में नीचे दिए घटक को लगा देने से दाद ठीक हो जाता है :
  • क्लोट्रिमेज़ोल  Clotrimazole
  • मिकोनाज़ोल Miconazole
  • टेर्बिनफीन Terbinafine
  • केटोकोनाज़ोल Ketoconazole

कुछ रिंगवर्म की क्रीम के नाम OTC Topical Cream for Ringworm

  1. रिंगगार्ड Ring-Guard Anti-fungal cream: Active Ingredient: Miconazole (anti-fungal) and Neomycin sulphate (anti-bacterial)
  2. इच गार्ड Itch Guard Anti-Fungal Cream:  Active Ingredient: Clotrimazole
  3. Candid B Cream:  Active Ingredient: Clotrimazole and betamethasone
  4. Ranbaxy AbZorb: Active Ingredient: Clotrimazole
  5. Jagsonpal RingCutter M: Active Ingredient: Miconazole (anti-fungal)
  6. क्लोट्रिमेज़ोल powder

सिर / स्कैल्प पर दाद

स्कैल्प पर दाद हो जाए तो इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ऐसे मामलों में आंतरिक रूप से एंटीफंगल दवाएं खाने के लिए दी जाती है जिन्हें 1 से 3 महीने लिया जाता है। क्रीम, लोशन, पाउडर या स्कैल्प पर होने वाली दाद पर काम नहीं करते। प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स जो की स्कैल्प पर होने वाली दाद में लाभप्रद हैं:

  1. ग्रीसियोफुल्विन Griseofulvin
  2. टेर्बिनफीन terbinafine
  3. इट्राकोनाज़ोल Itraconazole
  4. फ्लुकोनाज़ोल Fluconazole

एंटीफंगल दवाएं जो खायी जाती है, उनके सेवन से जी मिचलाना, उलटी, दस्त, अपच, सिर का दर्द आदि समस्याएं हो सकती हैं।

एंटीफंगल शैम्पू

एंटीफंगल शैम्पू selenium sulphide and ketoconazole shampoo का प्रयोग दाद को सिर में फैलने से रोकता है। इस प्रकार के शैम्पू को सप्ताह में दो बार प्रयोग किया जाता है।

अगर स्कैल्प पर दाद हो जाए तो लापरवाही न करें और डॉक्टर से सलाह लें।

इसके अतिरिक्त अगर साधारण दाद में OTC क्रीम लगाने से लाभ न हो तो भी डॉक्टर से सलाह लें।

रिंग कटर (जगसनपाल) Ring Cutter Detail and Uses in Hindi

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रिंग कटर जगसनपाल फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित एक एलोपैथिक दवाई है जो की फंगल इन्फेक्शन, रिंग वर्म जिसे हिंदी में दाद भी कहते हैं,  पर लगाई जाती है।

दाद वैसे तो कोई गंभीर बिमारी नहीं है, लेकिन इसका उपचार करना अत्यंत आवश्यक है जिससे यह शरीर के दूसरे हिस्सों और दूसरे लोगों तक न फैले। दाद होने का मुख्य लक्षण हैं, चमड़ी का लाल-दानेदार हो जाना उस पर खुजली होना और जलन होना। दाद पर खुजला कर अगर शरीर के स्वस्थ्य हिस्से को छू दिया जाए तो यह संक्रमण वहाँ भी फ़ैल जाता है।

फंगल इन्फेक्शन शरीर के उन हिस्सों में ज्यादा होता है जो की गर्म, नम और कपड़ों से रगड़ते रहते हैं, जैसे की अंडरगारमेंट्स के पास। अंडरगारमेंट जो की टाइट होते हैं, वे लगातार चमड़ी से रगड़ते रहते हैं और नमी होने से इस हिस्से में कवक संक्रमण होने का रिस्क बढ़ जाता है। कमर, भीतरी जांघें, या नितंबों के पास होने वाले फंगल इन्फेक्शन को मेडिकली टिनिया क्रूरिस और आम भाषा में जॉक इच कहते हैं।

पैरों की उँगलियों के बीच की त्वचा पर होने वाला कवक संक्रमण एथलीट फुट कहलाता है और इसमें उँगलियों के बीच लाली, सूजन, छिलना, और खुजली हो जाती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है. कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Ring Cutter from Jagsonpal Pharmaceutical is an antifungal topical cream applied to fungal infections, such as Athlete’s foot, Jock itch etc. The main ingredient of this medicine is Salicylic Acid IP 10% w/w.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक क्रीम, बाह्य प्रयोग के लिए
  • मुख्य उपयोग: फंगल इन्फेक्शन
  • मुख्य गुण: एंटीफंगल

रिंग कटर (जगसनपाल) के घटक Ingredients of Ring Cutter

NEW RINGCUTER (OINTMENT)

It contains:

  1. सेलीसायलिक एसिड Salicylic Acid IP 10% w/w
  2. बेन्जोइक एसिड Benzoic Acid IP 7.4% w/w
  3. ऐरचिस आयल Arachis Oil IP 10% w/w
  4. बी वैक्स White Bees wax IP 0.35% w/w
  5. पैराफिन White soft paraffin base IP q.s. to 100% w/w

रिंग कटर (जगसनपाल) के लाभ/फ़ायदे Benefits of Ring Cutter

  1. यह एंटीफंगल क्रीम है।
  2. इसे बाहरी रूप से लगाने पर फंगस की समस्या दूर होती है।
  3. ज्यादातर लोगों के लिए इसे प्रयोग करना सुरक्षित है।

रिंग कटर (जगसनपाल) के चिकित्सीय उपयोग Uses of Ring Cutter

  1. एथलीट फुट
  2. जॉक इच
  3. कमर, गर्दन, पर दाद
  4. हाथ-पैर पर दाद
  5. अन्य फंगल इन्फेक्शन

रिंग कटर (जगसनपाल) को कैसे लगाएं?

  1. प्रभावित हिस्से को अच्छे से धो कर सुखा लें।
  2. हाथों को धो लें और पर्याप्त मात्रा में क्रीम को लेकर हल्की मालिश करते हुए लगायें।
  3. दिन में २-3 बार लगाएं और ऐसा लगातार एक से दो सप्ताह जारी रखें।
  4. लगाने के बाद, हाथों को साबुन से धो लें।

सावधनियाँ Cautions

  1. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  2. यह केवल बाहरी रूप से त्वचा पर लगाने के लिए है।
  3. लगाने से पहले और लगाने के बाद हाथों को अच्छे से साफ़ करें।
  4. इसमें अल्कोहल है जो की कुछ लोगों में लोकल स्किन रिएक्शन कर सकता है। इसे लगाने पर स्किन पीलिंग / स्किन का छिलना बढ़ सकता है।
  5. यदि त्वचा कटी है या सूजी है तो इसका प्रयोग न करें।
  6. एक साथ एक जैसी कई क्रीम न लगाएं।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

  1. इसको लगाने से त्वचा ड्राई हो सकती है।
  2. इसको लगाने से स्किन पीलिंग हो सकती है।
  3. लम्बे समय बहुत अधिक हिस्से पर प्रयोग करने से कुछ लोगों में सेलसिलिक एसिड की पोइज़िनिंग हो सकती है, जिसके लक्षण हैं, जी मिचलाना, उलटी आना, कान में आवाजें आना आदि।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  1. इसे छोटे बच्चों और बारह साल से छोटे बच्चों पर न लगाएं।
  2. इसे गर्भावस्था और दूध पिलाने के दौरान न प्रयोग करें।
  3. जिन्हें सेलसिलिक एसिड या दवा में प्रयुक्त किसी भी घटक से एलर्जी हो वे इसका प्रयोग न करें।
  4. डायबिटीज में इसका प्रयोग करते समय सावधानी रखें।

मैनकाइंड बैंडी Bandy Detail and Uses in Hindi

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बैंडी, मैनकाइंड द्वारा निर्मित एलबेन्डेजोल का ब्रांड नाम है। यह आंत्र और ऊतक परजीवियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा है। एलबेन्डेजोल दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त कृमीनाशक है। यह दवा गोली और सिरप के रूप में उपलब्ध हैं। यह एक ऐलोपथिक दवाई है। इस पेज पर इस दवा के बारे बताया गया है जो की केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। । इस जानकारी का प्रयोग सेल्फ-मेडिकेशन के लिए न करें।

Bandy is allopathic anthelmintic medicine, with generic formula albendazole. It is indicated in treatment of parasites in body. This is a broad spectrum anthelmintic and its exact dose depends on the worms to be treated.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  • ब्रांड / निर्माता का नाम: मैनकाइंड
  • जेनरिक: एलबेन्डेजोल
  • केमिकल फार्मूला: methyl 5-(propylthio)-2-benzimidazolecarbamate
  • मॉलिक्यूलर फार्मूला: C12H15N3O2S
  • मॉलिक्यूलर वज़न: 265.34
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • मुख्य उपयोग: कृमि
  • मुख्य गुण: broad-spectrum anthelmintic

निशान का मतलब है “प्रिस्क्रिप्शन”। यह सिंबल लैटिन भाषा में प्रयोग किये जाने शब्द recipere का संक्षिप्त नाम है जिसका शाब्दिक मतलब है “लेने के लिए” या “इस प्रकार लें” ।

मैनकाइंड बैंडी की प्रेगनेंसी केटेगरी

केटेगरी डी D – मानव भ्रूण पर इस दवा का प्रतिकूल असर positive evidence of human fetal risk होता है।

इसको लेने से बच्चे में जन्मजात विकृतियाँ हो सकती हैं, इस लिए कुछ देशों में इसके सेवन के दौरान बच्चा न कंसीव करने की सलाह दी जाती है.

क्योंकि इसकी कुछ मात्रा वीर्य में जाती है इसलिए पुरुषों को भी इसके सेवन के बाद सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन का प्रयोग करना चाहिए.

मैनकाइंड बैंडी के घटक Ingredients of Bandy

BANDY tablet: albendazole

BANDY oral suspension: albendazole 400 mg

BANDY PLUS

BANDY PLUS tablet: ivermectin 6 mg + albendazole 400 mg

BANDY PLUS oral suspension: ivermectin 1.5 mg/5 mL + albendazole 200 mg

BANDY PLUS tablet: ivermectin 12 mg + albendazole 400 mg

दवा के मुख्य प्रभाव

  1. कृमिनाशक anthelmintic
  2. कीड़े को लार्वा स्टेज में मारने वाला larvicidal
  3. कृमि के अंडे मारने वाला ovicidal
  4. कृमि को मारने वाला vermicidal

मैनकाइंड बैंडी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Bandy tablet

बैंडी में एलबेन्डेजोल हैं जो की बहुत से कृमियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है.

राउंड वर्म Ascaris lumbricoides, पिन-वर्म (Enterobius vermicularis), हुक-कृमि worm (Necator americanus, Ancylostoma duodenale), विप-वर्म (Trichuris trichiura), थ्रेड-वर्म (Strongyloides stercoralis), टेप-कृमि Taenia spp and Hymenolepis nana only in the case of associated parasitism), Chlonorchiasis (Chlonorchis sinensis), Opisthorchiasis (Opisthorchis viverrini) और cutaneous लार्वा migrans; बच्चों में giardiasis (G.lamblia, G.duodenalis, G.intestinalis, Lamblia intestinalis).

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Bandy tablet

यह ध्यान रखने योग्य बात है की एलबेन्डेजोल एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एनथेलमिंटिक है और बहुत से कृमियों के इलाज़ में कारगर है इसलिए इसकी सटीक मात्रा कृमि के प्रकार और शरीर में उनकी मात्रा पर निर्भर करती है.

कुछ लोग, विशेष रूप से बच्चे, गोली को पूरा निगलने में कठिनाइयों का अनुभव कर सकते हैं. ऐसे में गोली को चबा कर ले सकते हैं या गोली को कुचल कर भी लिया जा सकता है।

इस दवा की सामान्यतः दी जाने वाली मात्रा 400 mg (400 mg or two 200 mg tablets or 10 ml 4%

suspension, Single dose/Once a day) है जो की दिन में एक बार खाने के बाद ली जाती है. यह मात्रा दो वर्ष के अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों के लिए उपयुक्त है. यह राउंड वर्म, पिन वर्म, हुक वर्म, विप वर्म आदि को नष्ट करती है.

 एक से दो वर्ष के बच्चों को 200 mg अथवा 10 ml सस्पेंशन, (one 200 mg tablet or 5 ml 4% suspension, Single done/Once a day) दिन में एक बार खाने के बाद देते हैं.

यदि कृमि एक बार के दवा के सेवन से नहीं जाते तो दवा को तीन सप्ताह बाद फिर से दिया जाता है.

कृमि के प्रकार के अनुसार दवा की मात्रा

जब शरीर में मिक्स्ड कृमि बहुत ज्यादा हो तो (जैसा स्टूल टेस्ट से पता लगे) दवा की एक मात्रा पर्याप्त नहीं होती और ऐसे में यह दिन में एक बार तीन-पांच दिनों तक दी जाती है.

Strongyloidiasis, Taeniasis, Hymenolepiasis में दवा की 400 mg की मात्रा दिन में एक बार तीन दिन (one dose per day for 3 days on an empty stomach) तक दी जाती है.

Chlonorchiasis, Opisthorchiasis में दवा की 400 mg की मात्रा दिन में दो बार तीन दिन (400 mg, Once daily for 1 to 3 days with food) तक दी जाती है

Giardiasis में दवा की 400 mg (400 mg, one dose per day for 5 days on an empty stomach) की मात्रा दिन में दो बार पांच दिन तक दी जाती है

सस्पेंशन को उपयोग करने से पहले अच्छी तरह हिला लें।

या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. महिलाए दवा के सेवन के एक महीने बाद तक प्रेगनेंसी के लिए प्रयास न करें.
  2. पुरुषों के सेमन में भी इसकी कुछ मात्रा पायी जाती है,  इसलिए दवा के सेवन के बाद, प्रोटेक्शन का प्रयोग करें.
  3. इसके सेवन से गर्भस्थ शिशु को बहुत नुकसान हो सकते हैं, इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान इसका सेवन न करें.
  4. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस दवा का उपयोग न करें.
  5. इसका बहुत अधिक सेवन न करें. यह लीवर और बोन मेरो के लिए नुक्सानदायक है.
  6. पिन-कृमि के मामले में पूर्ण चिकित्सा प्राप्त करने के लिए, स्वच्छता की सख्त उपायों के अतिरिक्त घर में रहने वाले अन्य व्यक्तियों का इलाज करें ।
  7. सस्पेंशन को उपयोग करने से पहले अच्छी तरह हिला लें।
  8. Neurocysticercosis अथवा मस्तिष्क के टैपवार्म संक्रमण में इसके सेवन से इंटरक्रेनिअल प्रेशर बढ़ सकता है, दौरे आ सकते हैं, तथा देखने में समस्याएं आ सकती हैं. ऐसा परजीवी या टेपवर्म के मर जाने पर दिमाग में आई सूजन के कारण हो सकता है. यदि व्यक्ति को इस तरह के परजीवी के दिमाग में होने का पता नहीं है, और दवा के सेवन के बाद यह लक्षण होते हैं तो उसे तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए जिससे स्टेरॉयड और एंटीकंवल्सेंट इलाज़ शुरू हो सके.
  9. जिन लोगों में लीवर सम्बंधित रोग है, उन्हें इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए.
  10. गुर्दे के रोगों में इसका प्रयोग डॉक्टर के परामर्श के बाद करें.

ADVERSE REACTIONS

यह दवा वैसे तो लेना अधिकाँश लोगों के लिए सुरक्षित है, लेकिन कुछ बहुत अधिक सेंसिटिव लोगों में निम्नलिखित (uncommon, rare reactions) लक्षण हो सकते हैं:

  1. पेट में दर्द Abdominal pain
  2. एक्यूट जिगर की विफलता Acute liver failure
  3. गुर्दे की विफलता Acute renal failure
  4. खालित्य Alopecia
  5. चक्कर आना Dizziness
  6. यकृत एंजाइमों के उन्नयन Elevations of hepatic enzymes
  7. पर्विल मल्टीफार्मी Erythema multiforme
  8. बुखार Fever
  9. सरदर्द Headache
  10. हेपेटाइटिस Hepatitis
  11. दाने और पित्ती सहित अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रिया Hypersensitivity reactions including rash and urticaria
  12. बढ़ा हुआ इंटरक्रेनियल प्रेशर Increased intracranial pressure
  13. मेनिनजियल संकेत Meningeal signs
  14. मतली और उल्टी Nausea and vomiting
  15. स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम Stevens-johnson syndrome
  16. चक्कर आना Vertigo

एलबेन्डेजोल Albendazole Detail and Uses in Hindi

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एलबेन्डेजोल एक एलोपैथिक ब्रॉड स्पेक्ट्रम कृमिनाशक है। यह दवाई आंत्र और ऊतक परजीवियों के इलाज में प्रयोग की जाती है। इसके सेवन से कीड़ों के अंडे, लार्वा या विकसित कृमि मर जाते हैं। यह बहुत से ब्रांड द्वारा निर्मित है और अलग, अलग नामों से बाज़ार में उपलब्ध है।

एलबेन्डेजोल दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त कृमीनाशक है तथा गोली और सिरप के रूप में उपलब्ध हैं। राउंड वर्म, विपवर्म, और हुकवर्म में इसकी 400 mg की मात्रा, दिन में एक बार पर्याप्त है। Trichuriasis में इसे तीन दिन तक दिन में एक बार लिया जाना चाहिए।

A single dose of 400 mg is recommended for clearance of gastrointestinal nematode infection of both adults and children over 2 years of age. Additional or more frequent dosage may be advised in certain conditions, including systemic disease.

Neurocysticercosis अथवा मस्तिष्क के टैपवार्म संक्रमण में इसे 15 mg per day per kg, की मात्रा दिन में दो बार, एक सप्ताह से 30 दिनों तक दिया जाता है।

हाईटिड डिसीज़ टैपवार्म संक्रमण Echinococcosis or hydatid disease (a form of echinococcosis caused by the development of hydatids of a tapeworm of the genus Echinococcus (E. granulosus) in the tissues especially of the liver or lungs of humans and some domestic animals (as sheep and dogs)) में 15 mg per day per kg, की मात्रा दिन में दो बार, 1-6 महीने तक देने की भी ज़रूरत पड़ जाती है।

सभी दवाओं के तरह ही इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते है। यह लगभग सभी लोगों के लिए, दिन में एक बार अथवा तीन दिनों तक लेने के लिए बहुत सुरक्षित है।

परन्तु कुछ लोगों में इसके सेवन से कुछ रिएक्शन हो सकते हैं। इसके सेवन से पेट में दर्द, जी मिचलाना, उलटी, लूज़ मोशन हो सकते हैं।

इसे लम्बे समय तक लेना सुरक्षित नहीं है। यदि इसे लम्बे समय तक लिया जाता है, तो गंजापन, लीवर की सेल्स को नुकसान, हेपेटाईटिस, बोन मेरो का दब जाना आदि हो सकता है। यदि इसे लम्बे समय तक दिया भी जाता है तो हर दो सप्ताह पर खून की जांच CBC, लयूकोसाईट डिफरेंशियल, हिपेटिक ट्रांसअमिनेज़ की जांच की जाती है।

एलबेन्डेजोल को गर्भवती महिलायों, स्तनपान के दौरान और छः महीने से छोटे बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए।

इस पेज पर इस दवा के बारे बताया गया है जो की केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इस जानकारी का प्रयोग सेल्फ-मेडिकेशन के लिए न करें।

Albendazole is allopathic anthelmintic medicine. It is a benzimidazole carbamate based on a bicyclic ring structure in which a benzene ring is fused to the 4- and 5- positions of an imidazole ring.

Albendazole is a white to off-white, odourless or almost odourless powder, which is practically insoluble in water and slightly soluble in methanol, chloroform, ethyl acetate and acetonitrile. Its molecular weight is 265.33.  It is a broad-spectrum anthelmintic, which is highly effective against a wide range of intestinal helminths and against tissue helminth infections, such as cutaneous larva migrans.

Albendazole exhibits larvicidal, ovicidal and vermicidal activity, and is thought to act via inhibition of tubulin polymerization. This causes a cascade of metabolic disruption, including energy depletion, which immobilizes and then kills the susceptible helminth.

  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  • जेनरिक: एलबेन्डेजोल
  • केमिकल फार्मूला: methyl 5-(propylthio)-2-benzimidazolecarbamate
  • मॉलिक्यूलर फार्मूला: C12H15N3O2S
  • मॉलिक्यूलर वज़न: 265.34
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में 200mg, 400mg, 600mg, 800mg उपलब्ध है।
  • मुख्य उपयोग: कृमि
  • मुख्य गुण: broad-spectrum anthelmintic

℞ निशान का मतलब है “प्रिस्क्रिप्शन”। यह सिंबल लैटिन भाषा में प्रयोग किये जाने शब्द recipere का संक्षिप्त नाम है जिसका शाब्दिक मतलब है “लेने के लिए” या “इस प्रकार लें”।

एलबेन्डेजोल की प्रेगनेंसी केटेगरी

  1. केटेगरी डी D – मानव भ्रूण पर इस दवा का प्रतिकूल असर positive evidence of human fetal risk होता है।
  2. इसको लेने से बच्चे में जन्मजात विकृतियाँ हो सकती हैं, इस लिए कुछ देशों में इसके सेवन के दौरान बच्चा न कंसीव करने की सलाह दी जाती है।
  3. क्योंकि इसकी कुछ मात्रा वीर्य में जाती है इसलिए पुरुषों को भी इसके सेवन के बाद सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन का प्रयोग करना चाहिए।

दवा के मुख्य प्रभाव

  1. कृमिनाशक anthelmintic
  2. कीड़े को लार्वा स्टेज में मारने वाला larvicidal
  3. कृमि के अंडे मारने वाला ovicidal
  4. कृमि को मारने वाला vermicidal

एलबेन्डेजोल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Albendazole

बैंडी में एलबेन्डेजोल हैं जो की बहुत से कृमियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है।

  1. राउंड वर्म Ascaris lumbricoides
  2. पिन-वर्म (Enterobius vermicularis)
  3. हुक-कृमि worm (Necator americanus  Ancylostoma duodenale)
  4. विप-वर्म (Trichuris trichiura)
  5. थ्रेड-वर्म (Strongyloides stercoralis)
  6. टेप-कृमि Taenia spp and Hymenolepis nana only in the case of associated parasitism)
  7. Chlonorchiasis (Chlonorchis sinensis)
  8. Opisthorchiasis (Opisthorchis viverrini) और cutaneous लार्वा migrans
  9. बच्चों में giardiasis (G.lamblia, G.duodenalis, G.intestinalis  Lamblia intestinalis)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Albendazole

यह ध्यान रखने योग्य बात है की एलबेन्डेजोल एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एनथेलमिंटिक है और बहुत से कृमियों के इलाज़ में कारगर है इसलिए इसकी सटीक मात्रा कृमि के प्रकार और शरीर में उनकी मात्रा पर निर्भर करती है।

कुछ लोग, विशेष रूप से बच्चे, गोली को पूरा निगलने में कठिनाइयों का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में गोली को चबा कर ले सकते हैं या गोली को कुचल कर भी लिया जा सकता है।

इस दवा की सामान्यतः दी जाने वाली मात्रा 400 mg (400 mg or two 200 mg s or 10 ml 4% suspension, Single dose/Once a day) है जो की दिन में एक बार खाने के बाद ली जाती है। यह मात्रा दो वर्ष के अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों के लिए उपयुक्त है। यह राउंड वर्म, पिन वर्म, हुक वर्म, विप वर्म आदि को नष्ट करती है।

एक से दो वर्ष के बच्चों को 200 mg अथवा 10 ml सस्पेंशन, (one 200 mg  or 5 ml 4% suspension, Single done/Once a day) दिन में एक बार खाने के बाद देते हैं।

यदि कृमि एक बार के दवा के सेवन से नहीं जाते तो दवा को तीन सप्ताह बाद फिर से दिया जाता है।

एलबेन्डेजोल को यदि फैटी खाने से साथ लिया जाता है, तो इसका शरीर में अवशोषण सही से होता है। लेकिन कुछ मामले में इसे खाली पेट लेना intraluminal effect अधिक उपयुक्त होता है।

कृमि के प्रकार के अनुसार दवा की मात्रा

जब शरीर में मिक्स्ड कृमि बहुत ज्यादा हो तो (जैसा स्टूल टेस्ट से पता लगे) दवा की एक मात्रा पर्याप्त नहीं होती और ऐसे में यह दिन में एक बार तीन-पांच दिनों तक दी जाती है।

Strongyloidiasis, Taeniasis, Hymenolepiasis में दवा की 400 mg की मात्रा दिन में एक बार तीन दिन (one dose per day for 3 days on an empty stomach) तक दी जाती है।

Chlonorchiasis, Opisthorchiasis में दवा की 400 mg की मात्रा दिन में दो बार तीन दिन (400 mg, Once daily for 1 to 3 days with food) तक दी जाती है

Giardiasis में दवा की 400 mg (400 mg, one dose per day for 5 days on an empty stomach) की मात्रा दिन में दो बार पांच दिन तक दी जाती है

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. दवा को सिंगल डोज़ में लेने से कोई नुकसान नहीं है।
  2. सस्पेंशन को उपयोग करने से पहले अच्छी तरह हिला लें।
  3. महिलाए दवा के सेवन के एक महीने बाद तक प्रेगनेंसी के लिए प्रयास न करें।
  4. पुरुषों के सेमन में भी इसकी कुछ मात्रा पायी जाती है, इसलिए दवा के सेवन के बाद, प्रोटेक्शन का प्रयोग करें।
  5. इसके सेवन से गर्भस्थ शिशु को बहुत नुकसान हो सकते हैं, इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान इसका सेवन न करें।
  6. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस दवा का उपयोग न करें।
  7. इसका बहुत अधिक सेवन न करें। यह लीवर और बोन मेरो liver function abnormalities and bone marrow toxicity के लिए हानिप्रद है।
  8. पिन-कृमि के मामले में पूर्ण चिकित्सा प्राप्त करने के लिए, स्वच्छता की सख्त उपायों के अतिरिक्त घर में रहने वाले अन्य व्यक्तियों का इलाज करें ।
  9. Neurocysticercosis अथवा मस्तिष्क के टैपवार्म संक्रमण में इसके सेवन से इंटरक्रेनिअल प्रेशर बढ़ सकता है, दौरे आ सकते हैं, तथा देखने में समस्याएं आ सकती हैं। ऐसा परजीवी या टेपवर्म के मर जाने पर दिमाग में आई सूजन के कारण हो सकता है। यदि व्यक्ति को इस तरह के परजीवी के दिमाग में होने का पता नहीं है, और दवा के सेवन के बाद यह लक्षण होते हैं तो उसे तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए जिससे स्टेरॉयड और एंटीकंवल्सेंट इलाज़ शुरू हो सके।
  10. जिन लोगों में लीवर सम्बंधित रोग है, उन्हें इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।
  11. गुर्दे के रोगों में इसका प्रयोग डॉक्टर के परामर्श के बाद करें।

ADVERSE REACTIONS

  1. पेट में दर्द Abdominal pain
  2. एक्यूट जिगर की विफलता Acute liver failure
  3. गुर्दे की विफलता Acute renal failure
  4. खालित्य Alopecia
  5. चक्कर आना Dizziness
  6. यकृत एंजाइमों के उन्नयन Elevations of hepatic enzymes
  7. पर्विल मल्टीफार्मी Erythema multiforme
  8. बुखार Fever
  9. सरदर्द Headache
  10. हेपेटाइटिस Hepatitis
  11. दाने और पित्ती सहित अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रिया Hypersensitivity reactions including rash and urticaria
  12. बढ़ा हुआ इंटरक्रेनियल प्रेशर Increased intracranial pressure
  13. मेनिनजियल संकेत Meningeal signs
  14. मतली और उल्टी Nausea and vomiting
  15. स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम Stevens-johnson syndrome
  16. चक्कर आना Vertigo आदि

बेकिंग सोडा Baking Soda in Hindi

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बेकिंग सोडा बहुत प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। इसे खाना पकाने, एसिडिटी में आंतरिक रूप से और त्वचा के रंग को सुधारने, ब्लीच की तरह, दाग-धब्बे हटाने, कील-मुहांसे रोकने, ब्लैकहैड, बालों में रूसी आदि में बाह्य रूप से प्रयोग किया जाता है। रासायनिक रूप से यह सोडियम बाईकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है। इसे मुख्य रूप से इसके एल्कलाइन करने और कार्बन-डाइऑक्साइड निकालने के गुण के कारण विभिन्न तरह से प्रयोग करते हैं।

baking soda

जब बेकिंग सोडा को चेहरे पर लगाते हैं तो यह त्वचा की एसिडिटी को कम करता है, अतिरिक्त तेल को सुखाता है और मुहांसे, झाईं को कम करता है और कई महीनों के प्रयोग से रंगत को सुधारता है।

बहुत से लोग बेकिंग सोडा को ही बेकिंग पाउडर baking soda And baking powder are different समझते हैं। पर ऐसा नहीं है। बेकिंग सोडा में कोई कमजोर एसिड, जैसे की टार्टारिक एसिड, और स्टार्च डाल कर बेकिंग पाउडर बनाते हैं। दोनों के स्वाद, रंग-रूप, और खाने में डालने पर प्रभाव सभी कुछ अलग होता है। इस पेज पर हमने बेकिंग सोडा के बारे में जानकारी देने की कोशिश की है। पढ़े और जाने इसके बारे में।

बेकिंग सोडा के अन्य नाम: मीठा सोडा, खाने का सोडा

रासायनिक सूत्र: NaHCO3

बेकिंग सोडा क्या है?  What is Baking Soda?

बेकिंग सोडा केमिकली सोडियम बाइकार्बोनेट NaHCO3 है। बेकिंग सोडा को मीठा सोडा Meetha Soda (Baking Soda), खाने का सोडा के नाम से भी जानते हैं।

बेकिंग पाउडर क्या है?  What Baking Powder?

बेकिंग पाउडर, बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट sodium bicarbonate) + कोई कमज़ोर एसिड + स्टार्च, है।

NaHCO3 + H+ → Na+ + H2O + CO2

बेकिंग सोडा + एसिड से हाइड्रोजन आयन पानी + कार्बन डाइऑक्साइड

जब यह मिक्स पानी में घुलाया जाता है और तापमान बढ़ता है तो CO2 रिलीज़ होती है।

वीक एसिड्स जो की बेकिंग पाउडर में इस्तेमाल होते हैं:

  • क्रीम ऑफ़ टार्टर cream of tartar (potassium hydrogen tartrate)
  • टार्टरिक एसिड tartaric acid
  • एसिड कैल्शियम फॉस्फेट acid calcium phosphate
  • सोडियम एसिड पाईरो फॉस्फेट sodium acid pyrophosphate

बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा में क्या अंतर है? Difference Between Baking Soda and Baking Powder?

बेकिंग सोडा केमिकली सोडियम बाइकार्बोनेट है जबकि बेकिंग पाउडर Khara Soda or Baking Powder में बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट sodium bicarbonate) + कोई कमज़ोर एसिड + स्टार्च होता है। दोनों कम्पोजीशन में अलग हैं।

बेकिंग सोडा Baking soda (NaHCO3) का रिएक्शन:

2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2

रिएक्शन से ये भी पता लग रहा है की Na2CO3 बन रहा है जो की ज्यादा क्षारीय है और बनने वाली रेसिपी को ज्यादा नमकीन, साबुन जैसा टेस्ट और पीला रंग दे रहा है।

इस मिश्रण से बनी रेसिपी पचने में भी परेशानी कर सकती है। क्योंकि जब Na2CO3 पेट में मौजूद हाइड्रोक्लोरिक एसिड HCl से मिलता है तो पेट में और ज्यादा CO2 निकलती है जिससे गैस बनती है और पाचन तन्त्र की दिक्कतें पेश आती हैं।

बेकिंग पाउडर का रिएक्शन

NaHCO3 + H+ → Na+ + H2O + CO2

जैसा की रिएक्शन दिखा रहा, इस मामले में सोडियम के आयन, पानी और CO2 बन रही है। ये सभी रेसिपी के टेस्ट में कोई अंतर नहीं आने देते।  जब बेकिंग पाउडर का प्रयोग करते हैं तो बनने वाले पदार्थ कम क्षारीय होते है और इसे मिलाने से रेसिपी में स्वाद में कोई अंतर नहीं आता। इसे ओवन में बनने वाली रेसिपी जैसे की केक, बिस्कुट, पेस्ट्री, पाई, आदि में डाला जाता है।

बेकिंग पाउडर रेसिपी में डालने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकलने का रेट, बेकिंग पाउडर में मिले एसिड पर निर्भर है। कुछ रेसिपी, जैसे की डोनट में में CO2 को तेज़ रेट यानिकी जल्दी निकालने की ज़रूरत होती है जिससे की वे क्रिस्प बने।

जब बेकिंग सोडा का प्रयोग करते हैं तो रेसिपी में कुछ ज्यादा खटास आती है। बेकिंग सोडा उन रेसिपी में काम करता है जो की खट्टी हों जैसे की जिसमें नींबू, दही, छाछ आदि पड़ा हो ।

बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर को क्या एक दूसरे के स्थान पर कुकिंग में प्रयोग कर सकते है?

बेकिंग पाउडर को बेकिंग सोडा की जगह इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन बेकिंग सोडा को बेकिंग पाउडर की जगह नहीं।

जैसे आप केक में बेकिंग सोडा डालेंगे तो परिणाम अलग होगें। केक कम फूलेगा यह स्वाद में खटास भरा भी हो सकता है। बेकिंग डिशेस में केवल बेकिंग पाउडर डालें, बेकिंग सोडा नहीं।

बेकिंग सोडा के प्रयोग क्या हैं?

बेकिंग सोडा को कुकिंग में और एंटासिड की तरह प्रयोग करते हैं।

कुकिंग में बेकिंग सोडा का प्रयोग, डिश की पकाने के तुरंत पहले मिलाते हैं। इसको बैटर में डालने से कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले पैदा होते हैं, जिससे बनने वाली रेसिपी फूलती है और स्पंजी हो जाती है।

बेकिंग सोडा को त्वचा, बालों, समेत बहुत से घरेलू उपचारों में भीप्रयोग करते हैं।

बेकिंग सोडा का एंटासिड की तरह क्यों और कैसे प्रयोग किया जाता है?

मार्किट में उपलब्ध ज्यादातर otc एंटासिड जैसे की इनो ENO, गैसोफ़ास्ट Gasofast आदि में सोडियम बाइकार्बोनेट NaHCO3 या बेकिंग सोडा Svarjiksara होता है। बेकिंग सोडा की लगभग २ ग्राम की मात्रा के साथ उसमें कुछ खट्टा पदार्थ जैसे की सिट्रिक एसिड भी २ ग्राम की मात्रा में डाला जाता है। इसे पीने से एसिडिटी, डकार, अपच आदि के लक्षणों में राहत होती है।

यदि आपको कभी कभी एसिडिटी हो जाए तो, एक गिलास लें। उसमें आधा टीस्पून बेकिंग सोडा डालें, नींबू का रस निचोड़ें पानी डालें और तुरंत पी जाएँ।

यह मिश्रण काम करता है, क्योंकि इसे पीने के बाद यह पेट में मौजूद एसिड HCl की मात्रा CO2 के कारण कम हो जाती है और तुरंत ही आराम हो जाता है।

बेकिंग सोडा लेने के फायदे क्या हैं?

बेकिंग सोडा को दवा की तरह लेने से पेट में एसिडिटी कम हो जाती है और खून एल्कलाइन (क्षार या बेस) हो जाता है। यह खून के pH को बढ़ा देता है। यह खट्टी डकार, अपच आदि में एक घरेलू उपचार की तरह तुरंत लाभ करता है।

बेकिंग सोडा को खाने के नुकसान क्या है?

  1. बेकिंग सोडा को अधिक मात्रा में लेने के कई नुक्सान भी है।
  2. इसमें सोडियम की मात्रा अधिक होती हैं जो की रक्तचाप को बढ़ा देती है।
  3. शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन गड़बड़ा सकता है।
  4. बहुत अधिक सोडियम के सेवन से शरीर में पानी का अवधारण भी बढ़ जाता है जिससे इडिमा हो जाता है।
  5. जो भी समस्याएं अधिक सोडियम के कारण होती हैं, वे मीठे सोडे की अधिक मात्रा में सेवन से हो सकती हैं।

बेकिंग सोडा दवा की तरह किसे नहीं लेना चाहिए?

निम्नलिखित रोगों में बेकिंग सोडा को दवा के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए:

  1. जिन लोगों को कम सोडियम लेने की सलाह दी गई हो।
  2. जिन लोगों को लीवर, हृदय या किडनी का रोग हो।
  3. जिन लोगों में उच्च रक्चाप हो।

क्या प्रेगनेंसी में दवा के रूप में इसे प्रयोग कर सकते हैं?

अमेरिका के FDA ने बेकिंग सोडा को प्रेगनेंसी केटेगरी सी C में रखा है।

इसका पशु प्रजनन या ह्यूमन प्रेगनेंसी में भ्रूण पर प्रभाव, पर स्टडी नहीं की गई है। लेकिन बहुत से विशेषज्ञ इसका गर्भवती महिलाओं में प्रयोग करने का निषेध contraindicate करते हैं क्योंकि यह इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन को प्रभावित करता है और दूसरा बहुत सारे बिना नुकसान करने वाले विकल्प उपलब्ध हैं। बहुत सारी महिलाओं में गर्भावस्था में वैसे ही द्रव प्रतिधारण और रक्तचाप बढ़ा हुआ होता है। उन्हें बेकिंग सोडा का दवा की तरह या इनो, गैसोफ़ास्ट आदि OTC एंटासिड का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

बेकिंग सोडा के अन्य उपयोग How to Use Baking Soda as Home Remedy in Hindi

बेकिंग सोडा को घरेलू उपचार की तरह निम्न में प्रयोग किया जा सकता है:

त्वचा के लिए बेकिंग सोडा का प्रयोग Cosmetic Use of Baking Soda

1- चेहरे से दाग-धब्बे हटाने के लिए, त्वचा गोरी करने के लिए hyperpigmentation, skin lightening

  • 2 टीस्पून बेकिंग सोडा में 1 टीस्पून पानी मिलाएं।
  • इसे त्वचा पर दस-पन्द्रह मिनट लगाएं फिर पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार करें।
  • 1 टी स्पून बेकिंग सोडा में 1 टीस्पून नींबू का रस मिलाएं।
  • इसे त्वचा पर दस-पन्द्रह मिनट लगाएं फिर पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार करें।
  • यदि यह मिक्स स्किन को बहुत ड्राई करता हो तो इसमें शहद या ओलिव आयल मिला लें।
  • 1 टीस्पून बेकिंग सोडा में, 1 टीस्पून ओलिव आयल, आधा टीस्पून शहद मिलाएं।
  • इसे त्वचा पर दस-पन्द्रह मिनट लगाएं फिर पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार करें।
  • 1 टीस्पून बेकिंग सोडा में, 3 टीस्पून एप्पल सीडर विनेगर मिलाएं।
  • इसे त्वचा पर दस-पन्द्रह मिनट लगाएं फिर पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार करें।
  • यदि विनेगर या नींबू का प्रयोग त्वचा पर जलन आदि करता हो इसमें रोज वाटर या पानी मिलाकर लगायें।
  • यदि प्रयोग से त्वचा ड्राई होती हो या ड्राई स्किन हो तो पेस्ट में शहद या तेल मिक्स कर लगायें।
  • त्वचा को धोने के बाद मॉइस्चराइजर लगा लें।

2- फेशिअल स्क्रब exfoliation

तीन पार्ट बेकिंग सोडा को एक पार्ट पानी में मिलाकर स्क्रब की तरह प्रयोग करें।

3- तैलीय त्वचा, मुहांसे निकलना, ब्लैकहेड्स Oily skin, blackheads

बकिंग सोडा को त्वचा पर लगाने से अतिरिक्त तेल दूर होता है, त्वचा ड्राई होती है जिससे तैलीय त्वचा के कारण होने वाले मुहांसे कम होते हैं।

4- कील-मुहांसे, दाग-धब्बे pimples, acne, blemishes

बेकिंग सोडा का पेस्ट प्रभावित स्थान दस मिनट तक लगायें। फिर पानी से धो लें। ऐसा सप्ताह में 2 से 3 बार करें।

5- हाथों को सॉफ्ट बनाना

एक चौड़े मुंह के बर्तन या टब में गुनगुने पानी में बेकिंग सोडा डालें और इस में हाथ डूबा कर रखें फिर हाथों की सफाई करें।

6- नहाने के पानी में bath water

नहाने के पानी में इसे डाल कर मिलाएं और नहाने में यह पानी प्रयोग करे, इससे पसीने की बदबू और त्वचा से अधिक तेल निकलने की समस्या दूर होती है।

7- मुंह की बदबू bad breath

बेकिंग सोडा पानी में मिलाकर गरारे और कुल्ला करें।

8- बालों में डेंड्रफ Dandruff

शैम्पू में १ चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर बालों को धोएं। ऐसा महीने में केवल एक बार करें, नहीं तो यह बालों को ड्राई कर देगा।

9- मधुमक्खी के काटने पर, चींटी के काटने पर, अन्य कीटों के काटने पर Poisonous sting / insect bite

यदि किसी स्थान पर मधुमक्खी काट ले तो प्रभावित जगह पर बेकिंग सोडा रगड़ें। ऐसा करने से बेकिंग सोडा के एल्कलाइन प्रभाव के कारण कीट के काटे स्थान पर कीट द्वारा निकाला गया एसिड कम होगा और जलन में आराम होगा।

अन्य प्रयोग 

१- वाश बेसिन, बाथ टब की सफाई cleaning wash basin

बेकिंग सोडा को स्पंज पर लें और रगड़ते हुए साफ़ करें।

२- फ्रिज में गंध smelly refrigerator

एक कटोरी में बेकिंग सोडा डालक्र फ्रिज में रख दें।

३- एसिड गिर जाना battery acid

यदि कहीं पर एसिड जैसे की बैटरी एसिड, गिर जाए तो तुरंत बेकिंग सोडा डाल दें।

4- बर्तनों की सफाई cleaning utensils

बरतन में यदि तेल, चिकनाहट हो तो इससे साफ़ करें। इसका प्रयोग बर्तनों में चमक लाता है।

5- ब्रोंज / कांसे को साफ़ करना Bronze Cleaning

एक चम्मच बेकिंग सोडा + नींबू, मिलाएं। इस पेस्ट को कांसे पर लगायें और रगड़ें। जब चमक आ जाये तो इसे पानी से धोकर पोंछ दें।

6- नाली जाम हो जाना clogged drain of wash basin

एक कप बेकिंग सोडा और सिरका मिलाकर, ड्रेन में डालें और फिर गर्म पानी डाल दें।

गैसोफ़ास्ट Detail and Uses in Hindi

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गैसोफ़ास्ट मैनकाइंड फार्मा द्वारा निर्मित उत्पाद है। यह एक एंटासिड antacid है और पेट में अधिक एसिड बनने पर लिया जाता है। गैसोफ़ास्ट में बेकिंग सोडा और साइट्रिक एसिड होता है।

बेकिंग सोडा, सोडियम बाइकार्बोनेट को कहते है। सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) को रेसिपी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह एक leavening agent लीवनिंग एजेंट है जो की झाग बनाकर बैटर को हल्का और मुलायम करता है। यह बैटर में गैस के बुलबुले बना देता है । बेकिंग सोडा को इडली, ढोकला आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। बेकिंग सोडा के साथ इसमें सिट्रिक एसिड तथा अन्य घटक हैं।

इसमें सोडियम की काफी मात्रा है इसलिए इसे उन स्थितियों में नहीं लिया जाना चाहिए जब कम सोडियम लेने की सलाह हो। गर्भावस्था में भी इसका सेवन न करें तो बेहतर है क्योंकि यह शरीर में वाटर रिटेंशन और सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है, साथ ही इसके सेवन से रक्तचाप भी बढ़ सकता है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Mankind Gas-O-Fast sachet contains salt of Sodium Bicarbonate (Svarjiksara) and Citric Acid (Nimbukamlam). It is used to get relief from heartburn, hyperacidity and gas. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • ब्रांड: मैनकाइंड फार्मा
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक
  • मुख्य उपयोग: एसिडिटी, गैस, खट्टी डकार
  • मुख्य गुण: पेट के एसिड को कम करना
  • मूल्य MRP: Rs 6.00 / सैशे

गैसोफ़ास्ट के घटक Ingredients of Gasofast

  1. प्रत्येक 5 ग्राम पाउच शामिल में
  2. स्वर्जिक्षार शुद्ध Svarjiksara Shuddha 2.66 ग्राम्स
  3. निम्बुकमलम शुष्कम Nimbukamlam Shushkam 2.02 ग्राम्स
  4. परमिटेड स्वीटनर्स, सैक्रीन सोडियम 10mg/5g, फ्रुक्टोज़, परमिटेड कलर, परमिटेड फ्लेवर

स्वर्जिक्षार शुद्ध

रासायनिक रूप से यह सोडियम बाईकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है। इसे बेकिंग सोडा भी कहते हैं। बेकिंग सोडा को दवा की तरह लेने से पेट में एसिडिटी कम हो जाती है और खून एल्कलाइन (क्षार या बेस) हो जाता है। यह खून के pH को बढ़ा देता है। यह खट्टी डकार, अपच आदि में एक घरेलू उपचार की तरह तुरंत लाभ करता है।

निम्बुकमलम शुष्कम

यह सिट्रिक एसिड अनहाईड्रस है। यह ओर्गानिक – वीक एसिड है। यह पीएच को नियंत्रित करता है।

गैसोफ़ास्ट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Gasofast

पेट में एसिड होने के लक्षणों में त्वरित राहत के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। गैसोफ़ास्ट अस्थायी रूप से अपच, गैस, पेट फूलना, सूजन और खट्टी डकार से राहत देता है। यह इलाज़ नहीं करता पर लक्षणों में राहत देता है।

  1. एसिडिटी Acidity
  2. पेट फूलना Bloating
  3. गैस Gas
  4. पट में जलन Gastric discomfort
  5. खट्टी डकार Heart burn
  6. अपच Indigestion
  7. उलटी आना Nausea

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Gasofast

  1. गैसोफ़ास्ट को पीने के लिए पहले पानी में मिलाया जाता है और तुरंत ही पी लिया जाता है।
  2. वयस्क: एक पाउच (5G) को एक कप ठंडे पानी में मिला कर लें।
  3. यदि आवश्यक हो तो, 2-3 घंटे में दोहराएँ। दूसरी खुराक 2-3 घंटे के बाद ही लिया जा सकता है।
  4. 24 घंटे में अधिक से अधिक 2 खुराक ही लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  2. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  3. इसे 12 वर्ष से छोटे बच्चों को न दें।
  4. इसमें सोडियम की मात्रा अधिक होती हैं जो की रक्तचाप को बढ़ा देती है।
  5. इसके अधिक सेवन से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन गड़बड़ा सकता है।
  6. बहुत अधिक सोडियम के सेवन से शरीर में पानी का अवधारण भी बढ़ जाता है जिससे इडिमा हो जाता है।
  7. जो भी समस्याएं अधिक सोडियम के कारण होती हैं, वे मीठे सोडे की अधिक मात्रा में सेवन से हो सकती हैं।
  8. अगर आप कम नमक वाले आहार ले रहे है तो इसका सेवन न करें।
  9. अगर इसके किसी भी घटक से एलर्जी पर हैं तो उपयोग न करें।
  10. यकृत liver या गुर्दे kidney की समस्याओं से ग्रस्त होने पर इसका प्रयोग न करें।
  11. यह पेट की अम्लता को कम कर देता है और दूसरी दवाओं के अवशोषण absorption of other medicines को प्रभावित कर सकता है।
  12. लक्षण जारी रहने पर डॉक्टर से सलाह लें।
  13. अधिक से अधिक 14 दिनों तक ही इस दवा का सेवन करें।

डाईजीन एंटासिड Digene Detail and Uses in Hindi

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डाईजीन एक एंटासिड antacid है। यह गोलियों और लिक्विड tablets and liquid के रूप में उपलब्ध है। इसका प्रयोग एसिडिटी, खट्टी डकार, मितली, उलटी, आदि से राहत पाने के लिए किया जाता है। डाईजीन में मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड, एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड होते हैं जो पेट के एसिड को न्यूट्रालाइज करके हाइपरएसिडिटी के लक्षणों से आराम दिलाते हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Digene is an antacid used to get relief from occasional acidity or heartburn. It gives relief in burping, indigestion, nausea and other symptoms of acidity. It is an allopathic medicine and has few side-effects. It is not suitable for children below the age of 12. Although it is generally considered safe to take antacid during pregnancy but it is better to consult doctor before use.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

हाइपरएसिडिटी या हार्टबर्न क्या है? Know about Heartburn in Hindi?

हाइपरएसिडिटी hyperacidity या हार्टबर्न, पेट में बने ज्यादा एसिड से महसूस की जाने वाली छाती में जलन, अजीर्ण, अपच, अम्लता, को कहा जाता है।

हार्टबर्न होने का हार्ट यानि की दिल से कोई सम्बन्ध नहीं है। क्योकि ज्यादा एसिडिटी से छाती में जलन होती है इसलिए इसे हार्टबर्न कहा जाता है।

हाइपरएसिडिटी या हार्टबर्न के लक्षण Heartburn symptoms

  • सीने में जलन
  • खट्टी डकार, गले के पीछे गर्म, खट्टा, अम्लीय स्वाद आना
  • सीने में दर्द से, विशेष रूप से झुकने, लेटने या खाने के बाद
  • बेचैनी, अच्छा न लगना

एंटासिड Antacid क्या है? Know about antacid in Hindi?

  1. एंटासिड, वो दवा हैं जो की कभी-कभी पेट में बने ज्यादा एसिड को कम करने या उसे बनने से रोकने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. ये ओटीसी OTC दवाएं हैं और बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिपशन के ली जा सकती हैं।
  3. ये गोलियाँ और तरल के रूप में उपलब्ध होती हैं। एंटासिड को एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड, मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड/कार्बोनेट/ट्राईसिलिकेट तथा कुछ अतिरिक्त अवयवोंको मिला कर बनाया जाता है।
  4. एंटासिड हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है।
  5. एंटासिड को आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसे सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर है।
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: ऐलोपैथिक OTC दवाई
  • मुख्य उपयोग: गैस और एसिडिटी में
  • मुख्य गुण: पेट का एसिड कम करना
  • मूल्य MRP: Digene gel 200ml @ Rs. 90.00; Digene Tablets 15 tables @ Rs. 15.00

डाईजीन एंटासिड के घटक Ingredients of Digene

Digene Tablet

  1. एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड Aluminium hydroxide 300 mg
  2. मैग्नीशियम एल्यूमीनियम सिलीकेट हाइड्रेट Magnesium aluminium silicate Al2MgO8Si2 50 mg
  3. मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड Magnesium hydroxide 25 mg
  4. Simethicone 25 mg

Digene Syrup

  1. एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड Aluminium hydroxide 830 mg/10 mL
  2. मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड magnesium hydroxide 185 mg
  3. simethicone 50 mg, sodium carboxymethylcellulose 100 mg

डाईजीन एंटासिड के चिकित्सीय उपयोग Uses of Digene

  1. इसे एसिडिटी/अम्लता, अपच, और गैस से तात्कालिक राहत पाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  2. एसिड पेप्टिक रोग Acid peptic disease
  3. गैर-अल्सर अपच Non-ulcer dyspepsia
  4. एसिडिटी (GERD) Gastroesophageal reflux disease
  5. अम्लपित्त Heartburn
  6. गैर स्टेरायडल सूजन कम करने की दवा (NSAID) से गैस्ट्रिटिस
  7. गैस्ट्रिटिस Gastritis (आमाशय की म्युकोसा में सूजन)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Digene

गोलियाँ: 1-2 गोलियाँ खाना खाने के आधे से एक घंटे के बाद या जब ज़रूरत हो। लक्षण फिर से हों तो कुछ घंटे बाद निर्देशित रूप में दोहराएँ।

लिक्विड: उपयोग करने से पहले अच्छी तरह हिला लें। 1-2 चम्मच (लगभग 5-10 मिलीलीटर) खाने के आधे से एक घंटे के बाद या जब ज़रूरत हो। लक्षण फिर से हों तो कुछ घंटे बाद निर्देशित रूप में दोहराएँ।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. अगर आप मैग्नीशियम-प्रतिबंधित आहार ले रहे हैं, या गुर्दे की बीमारी है तो डॉक्टर से परामर्श करें।
  2. यह अन्य दवाओं के अवशोषण को प्रभावित कर सकती है।
  3. 24-घंटे की अवधि में 12 गोलियाँ से ज्यादा न लें।
  4. 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को न दे।
  5. इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते है जैसे की कब्ज, दस्त, गैस, ऐंठन आदि।
  6. इसे लेना गर्भावस्था में सुरक्षित है। लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।
  7. लम्बे समय तक अधिक मात्रा में लेते रहने से पेट में एसिड की मात्रा कम हो जाती है।
  8. इसे एंटीबायोटिक के साथ न लें। यह एंटीबायोटिक के असर को घटा देती है।
  9. इसे आयरन और विटामिन के सप्लीमेंट के साथ न लें। यह इन के अवशोषण को कम कर देगा।
  10. लीवर के गंभीर रोग में इसे न लें।
  11. एंटासिड को लेने का सही समय भोजन करने के एक घंटे बाद है।
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