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दिव्य पेय Divya Peya Detail and Uses in Hindi

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दिव्य पेय, पतंजलि दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित हर्बल चाय है जिसमें बहुत सी जड़ी-बूटियाँ जैसे की इलाइची, चित्रक, सोम-लता, ब्राह्मी,काली मिर्च, चंदन, गुलाब के फूल, सौंठ, दालचीनी, पुनर्नवा, तेज पत्ता, लौंग, तुलसी, अर्जुन, अश्वगंधा, सौंफ, वासा, गिलोय आदि हैं। यह हर्बल चाय, काली चाय के एक विकल्प के रूप में रोजाना ली जा सकती है। यह एक हर्बल काढ़ा कहा जा सकता है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण है। इसके सेवन से शरीर में उर्जा, इम्युनिटी, की वृद्धि होती है, कफ-कोल्ड से राहत मिलती है, पाचन सम्बन्धी दिक्कतें दूर होती हैं और मानसिक विकारों में लाभ होता है।

Patanjali Divya Peya is Ayurvedic proprietary tea from Divya Pharmacy. It contains many well-known herbs and spices and can be used as alternative for regular tea. Here is given more about this tea such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

dibya peya

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • प्रकार: Herbal tea
  • मूल्य MRP: Rs. 50.00 for 100 grams

दिव्य पेय के घटक Ingredients of Divya Peya

100 gram coarse powder contains:

  1. छोटी इलाइची 3 gram
  2. बड़ी इलाइची 4 gram
  3. दालचीनी 1 gram
  4. लौंग 4 gram
  5. सफ़ेद चन्दन 1 gram
  6. रक्त चन्दन 3 gram
  7. जावित्री 4 gram
  8. जायफल 4 gram
  9. काली मिर्च 1 gram
  10. गुलाब फूल 3 gram
  11. कमल फूल 3 gram
  12. अश्वगंधा 3 gram
  13. सोमलता 3 gram
  14. गजवान 2 gram
  15. सौंफ 2 gram
  16. चित्रक 3 gram
  17. वासा 3 gram
  18. बनफ्शा 3 gram
  19. चव्य 3 gram
  20. छोटी पिप्पली 2 gram
  21. सोंठ 3 gram
  22. गिलोय 3 gram
  23. मुलेठी 3 gram
  24. तेजपत्ता 2 gram
  25. गोरखपान 2 gram
  26. आज्ञाघास 4 gram
  27. भूमिआमला 4 gram
  28. पुनर्नवा 4 gram
  29. बला 2 gram
  30. सर्पुन्खा 2 gram
  31. ब्राह्मी 4 gram
  32. शंखपुष्पि 4 gram
  33. वनतुलसी 5 gram
  34. अर्जुन 3 gram

अश्वगंधा का सेवन तंत्रिका संबंधी विकार, आंतों में संक्रमण, त्वचा रोगों, तनाव, अवसाद आदि में लाभप्रद है। यह उत्तम रसायन या टॉनिक है।

तुलसी के प्रयोग से इम्युनिटी बढती है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और टोक्सिंस को दूर करती हैं।

अदरक एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। इसका प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है। अदरक पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है। इसमें दर्द निवारक गुण हैं। यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है। यह स्वभाव से गर्म है।

काली मिर्च (ब्लैक पेपर, गोल मिर्च) पाचक, श्वास और परिसंचरण अंगों पर काम करती है। यह गैस को दूर करती है, मेटाबोलिज्म बढ़ाती है, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक है। यह बुखार आने के क्रम को रोकता है। इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

मुलेठी को आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसे खांसी, गले में खराश, सांस की समस्याओं, पेट दर्द औरअम्लपित्त आदि में उपयोग किया जाता है। यह खांसी, अल्सर, के उपचार में और बाहरी रूप से भी त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जाता है।

मुलेठी का सेवन उच्च रक्तचाप, द्रव प्रतिधारण, मधुमेह और कुछ अन्य स्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।

दालचीनी या दारुचिनी एक पेड़ की छाल है। यह वात और कफ को कम करती है, लेकिन पित्त को बढ़ाती है। यह मुख्य रूप से पाचन, श्वसन और मूत्र प्रणाली पर काम करती है। इसमें दर्द-निवारक / एनाल्जेसिक, जीवाणुरोधी, ऐंटिफंगल, एंटीसेप्टिक, खुशबूदार, कसैले, वातहर, स्वेदजनक, पाचन, मूत्रवर्धक, उत्तेजक और भूख बढ़ानेवाले गुण है। दालचीनी पाचन को बढ़ावा देती है और सांस की बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी है।

छोटी इलायची त्रिदोषहर, पाचक, वातहर, पोषक, विरेचक और कफ को ढीला करने के गुणों से युक्त हैं। यह मूत्रवर्धक है और मूत्र विकारों में राहत देती है। इलाइची के बीज अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गले के विकार, बवासीर, गैस, उल्टी, पाचन विकार और खाँसी में उपयोगी होते हैं।

तेजपत्ता, एक पेड़ से प्राप्त सूखे पत्ते है। यह तासीर में गर्म होता है। यह कफ और वातहर है। तेजपत्ते का सेवन पित्तवर्धक है। यह बवासीर के इलाज और स्वाद में सुधार करता है। तेजपत्ता कड़वा, मीठा, सुगंधित, कृमिनाशक, मूत्रवर्धक, वातहर और सूजन दूर करने वाला है। यह रक्त को साफ़ करता है और, भूख एवं पाचन को सुधारता है। यह भूख न लगना, मुँह का सूखापन, खांसी, सर्दी, मतली, उल्टी, गैस और अपच के उपचार के लिए आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है।

पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

अर्जुन के पेड़ की छाल सुप्रसिद्ध हार्ट टॉनिक है। इसके सेवन से अनियमित हृदय की धड़कन नियमित होती है और रक्त चाप नियंत्रित होती है। यह ज्वर, अस्थमा, समेत बहुत से रोगों में लाभप्रद है।

ब्राह्मी और शंखपुष्पि मस्तिष्क के लिए उत्तम टॉनिक है। इसके सेवन से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग तेज होता है। यह मिर्गी, बुढ़ापा, बालों के झड़ने, तंत्रिका संबंधी विकार, अवसाद, मानसिक कमजोरी में बहुत उपयोगी है।

दिव्य पेय के लाभ/फ़ायदे Benefits of Divya Peya

  1. इसमें कैफीन नहीं है।
  2. यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
  3. इसमें एंटीऑक्सीडेंट हैं।
  4. यह इम्युनिटी को बढ़ाने वाली चाय है।
  5. इसमें पिप्पली, काली मिर्च, सोंठ आदि हैं जो पाचन और सांस रोगों में लाभकारी है।
  6. इसमें अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी आदि द्रव्य है जो की अवसाद, स्ट्रेस, मानसिक विकारों में लिए प्रयोग किये जाते है।
  7. इसके सेवन से शरीर के अंगों को ताकत मिलती है।
  8. यह पाचन में सहयोगी है।
  9. यह कफ रोगों को दूर करने वाली चाय है।
  10. इसे बनाना बहुत ही सरल है और पीने से इसमें डाली गई जड़ी-बूटियों के लाभ मिलते हैं।

दिव्य पेय के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Peya

  1. ठंड/कफ से संबंधित रोग cold-cough related diseases
  2. पेट से संबंधित रोग stomach related diseases
  3. पाचन की समस्या Digestive weakness
  4. मानसिक समस्याएं psycho-related diseases
  5. दैनिक पीने के लिए चाय के वकल्प के रूप में

बनाने की विधि How to prepare Divya Peya

एक कप पानी में एक टीस्पून दिव्य पेय को डालें। इसे धीमी आंच पर पकाएं। इसे पांच-दस मिनट या ज्यादा देर तक पकाएं। इसमें आवश्यकता अनुसार दूध और चीनी मिलाएं। छाने और पियें।


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